नई दिल्लीः एक बार फिर से इस साल 21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। सुबह 9.15 बजे से दोपहर 3.04 बजे तक रहेगा। बता दें कि यह मंगल के नक्षत्र में पड़ने वाला ग्रहण है। भारत में देश के उत्तरी भाग के कुछ स्थानों (राजस्थान, हरियाणा तथा उत्तराखण्ड के हिस्सों) के संकीर्ण गलियारे में प्रात: ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था दृश्यमान होगी जबकि देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा।
हिंदू धर्म के मुताबिक ग्रहण काल में कुछ चीजों को करने से मनाही होती है। ग्रहण के समय भोजन करने व बनाने दोनों का त्याग करना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए। ग्रहण को खुली आंखों से देखने से परहेज करना चाहिए।
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेष रूप से बचना चाहिए। ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है। इसके साथ ही बुजुर्ग और पीड़ित व्यक्ति को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए।
ग्रहण के समय देव पूजा को भी निषिद्ध बताया गया है। यही कारण है कि कई मंदिरों के कपाट इस दौरान बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रहण के समय बाल व नाखून कभी नहीं कटवाना चाहिए। इस समय कोई सिलाई का काम भी नहीं करना चाहिए। ये अशुभ माना जाता है। इस दौरान नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दौरान कोई नया व शुभ काम करने से बचें।
सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन तब घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आ जाता है तथा ये तीनों एक ही सीध में होते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य के कोणीय व्यास की अपेक्षा छोटा होता है जिसके परिणाम स्वरूप चंद्रमा सूर्य को पूर्णतया ढक नहीं पाता है। फलत: चंद्रमा के चतुर्दिक सूर्य चक्रिका का छल्ला दिखाई देता है ।
ग्रहण ग्रस्त सूर्य को थोड़े समय के लिए भी नग्न आँखों से नहीं देखना चाहिए। सूर्य के अधिकतम भाग को चंद्रमा ढक ले तब भी ग्रहण ग्रस्त सूर्य को न देखें अन्यथा इससे आँखों को स्थाई नुकसान हो सकता है जिससे अंधापन हो सकता है।