वैज्ञानिकों का एक समूह हर्ड इम्यूनिटी बढ़ाने पर लगातार जोर दे रहा, पढ़े

कोरोना संक्रमण का मुकाबला करने के लिए जहां संसार के अन्य देश वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने पर जोर दे रहे हैं वहीं कुछ वैज्ञानिकों का बोलना है

कि चीन, हिंदुस्तान व रूस जैसे राष्ट्रों को हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) विकसित करने पर जोर देना चाहिए. वैक्सीन बनने में अभी एक वर्ष का समय है लेकिन तब तक कोरोना संक्रमण संसार भर में लाखों लोगों की जान ले चुका होगा. वर्तमान में पूरी संसार में 8,024,914 कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं जबकि 436,218 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है. हिंदुस्तान में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण के रोगी बढ़ रहे हैं उससे यह अंदेशा होने लगा है कि कहीं सरकार हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने का इंतजार तो नहीं कर रही है? कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि हिंदुस्तान के संदर्भ में ऐसा होना संभव है. ऐसे में लॉकडाउन समाप्त करने व देशभर में प्रतिबंध समाप्त करने के पीछे कहीं यही वजह तो नहीं. क्योंकि जब तक 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी संक्रमित न हो यह भी हो पाना मुमकिन नहीं. दुनिया स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) जहां घर रहने, मास्क पहनने व फिजिकल डिस्टेंसिंग (Physical Distancing) को ही कोरोना का वैसे सबसे अच्छा उपाय मान रहा है वहीं वैज्ञानिकों का एक समूह हर्ड इम्यूनिटी बढ़ाने पर लगातार जोर दे रहा है.
हमेशा रहने वाला है कोरोना हर्ड इम्यूनिटी पर ध्यान केन्द्रित करने का मंत्र देने वाले वैज्ञानिकों के इस समूह का बोलना है कि कोरोना परिावार में 200 के करीब वायरस हैं. कोविड-19 बिल्कुल नए प्रकार का मेम्बर है जिसके अब तक 11 रूप (Corona Strain) हमारे सामने आ चुके हैं. ऐसे में ज्यादातर वैज्ञानिक यही मानते हैं कि आने वाले वर्षों में भी कोरोना वायरस संक्रमण हमारे बीच ही रहने वाला है. ऐसे में सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग, लॉकडाउन व मास्क पहनकर इससे बहुत दिनों तक बचे रह पाना कठिन है. कोरोना महामरी के चलते संसार भर में छाया आर्थिक संकट कहीं वायरस से पहले भुखमरी व संसाधनों की कमी से लोगों की जान न ले ले.
हर्ड इम्यूनिटी क्या होती है? अगर कोई संक्रामक या वायरस जनित बीमारी आबादी के बहुत बड़े हिस्से में फैल जाती है व इंसान की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी के संक्रमण को बढऩे से रोकने में मदद करती है तो जो लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह अच्छा हो जाते हैं, वो उस बीमारी से 'इम्यून' यानी सुरक्षित हो जाते हैं. इसका मतलब है कि उनमें उक्त वायरस के विरूद्ध प्रतिरक्षात्मक गुण विकसित हो जाते हैं. ऐसे लोगों में वायरस का मुक़ाबला करने को लेकर सक्षम एंटी-बॉडीज़ तैयार हो जाता है.
भारत में मुमकिन है यह उपाय हर्ड इम्यूनिटी व हिंदुस्तान की संभावनाओं पर लाइट डालते हुए अमरीका की वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर डिज़ीज़ डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के डायरेक्टर व अमरीका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्च स्कॉलर चिकित्सक रामानन लक्ष्मीनारायण ने बताया कि हिंदुस्तान युवाओं का देश है. यहां की आबादी में युवाआं की संख्या ज्यादा है जिनका इस लड़ाईमें महत्त्वपूर्ण सहयोग होने कि सम्भावना है. लक्ष्मीनारायण का मानना है कि लॉकडाउन को बढ़ाने व किसी वैक्सीन के बनने का इंतजार करने से बेहतर है कि हम हर्ड इम्यूनिटी पर ध्यान लगाएं. उन्होंने बोला कि अगर हिंदुस्तान की 65 प्रतिशत आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित होकर अच्छा हो जाए, भले ही संक्रमण के दौरान उनमें हल्के या ना के बराबर लक्षण हों तो बाकी की 35 फीसदी आबादी को भी कोविड-19 से सुरक्षा मिल जाएगी. ऐसे मेंएक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या बुजुर्गों व क्रॉनिकल डिजीज जैसे हार्ट पेशेंट्स, डज्ञयबिटीज व टीबी के मरीजों की जान जोखिम में डाले बिना यह सब संभव होने कि सम्भावना है?
युवाओं संग जीतेंगे कोरोना से जंग डाक्टर लक्ष्मीनारायण का बोलना है कि देश की जनसांख्यिकी (Corona Demography) इस मुकाबले में बेहद महत्त्वपूर्ण किरदार निभाएगी. हिंदुस्तान में 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम आयु की है व केवल 6 फीसदी लोगों की आयु 65 साल से अधिक है. जब की इटली में 22 फीसदी व चाइना में 10 फीसदी लोग 65 साल से अधिक आयु वर्ग के है. वहीं बुजुर्गों की तुलना में युवाओं में संक्रमण के ज्यादातर मामलों में या तो छोटी लक्षण हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे. अगर युवाओं की इस ताकत को सीमित व नियंत्रित ढंग से कोरोना वायरस के सम्पर्क (Expose) में लाया जाए तो अस्पतालों को शायद गंभीर लक्षणों वाले मरीज़ों का उतना बोझ ना झेलना पड़े. लेकिन ऐसा करने के लिए देश में टेस्टिंग की क्षमता को बढ़ाना होगा, ताकि जिन समूहों में कोविड-19 को सीमित रखना चाहते हैं, वहां तीव्र गति से संक्रमण का पता लगाया जा सके व जिनको स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता हो, उन्हें जल्द से जल्द ये सेवाएं दी जा सकें. मास्क पहनना, फिजिकल डिस्टेन्सिंग व घर-बाहर हर स्थान साफ-सफाई का पालन करना होगा. इसके अतिरिक्त एंटी-बॉडीज़ टेस्टिंग (Anti Bodies Testing) भी ज़रूरी है ताकि उन लोगों का पता लगाया जा सके जिनमें कोविड-19 से लडऩे वाली एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं. इस तरह हर्ड-इम्यूनिटी के बल पर हिंदुस्तान इस लड़ाई में कोरोना को हरा सकता है.
भारत में खास ख़ास -कोविड-19 की रिकवरी दर 50.60% से बेहतर होकर 51.08% हुआ. - पिछले 24 घंटे में 1.15+ लाख नमूनों की जाँच की गई. अब कुल परीक्षणों की संख्या 57.74+ लाख पार: आईसीएमआर -कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए राज्यों/राज्य संघ क्षेत्रों को रेलवे 5,231 कोविड केयर सेंटर प्रदान करेगी.

अन्य समाचार