सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या: कब जानें कि यह उदासी नहीं, Depression है... तुरंत लें साइकॉलॉजिस्ट की मदद

होपलेसनेस, किसी भी प्रकार की नाउम्मीद कि अब कुछ ठीक नहीं हो सकता... वर्थलेसनेस, खुद को लेकर यह विचार आना और बार बार आना कि मैं किसी काबिल नहीं या मैं फलां चीज को नहीं हैंडल कर पा रहा. हेल्पलेसनेस, यानी किसी मामले विशेष को लेकर मदद कर सकने में खुद को असमर्थ पाना... खुद के पैटर्न में बदलाव, जिन चीजों और कामों को करने में पहले आनंद आता था, अब उनमें मजा नहीं आता. रुचियों में अब इंट्रेस्ट खत्म होने लगा हो. मूड भी बार- बार खऱाब होने लगे, यानी इसे ऐसे समझें कि यदि हफ्ते में कई बार मूड बिना किसी कारण उदास रहने लगता है तब यह अलार्मिंग हो सकता है. गिल्ट, यानी आत्मग्लानि. अतीत में हुई किसी चूक या भूल को सीने से लगाए रखना और खुद को दोषी मानना.

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