अजब-गजब॥ World War I (प्रथम विश्व युद्ध) के बारे में आपने इतिहास की कई पुस्तकों में पढ़ा ही होगा। वैसे तो यह युद्ध 1914 से 1918 तक लड़ा गया। ये महायुद्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया था, लेकिन मुख्य रूप से इसे यूरोप का महायुद्ध ही बताया जाता है।
मगर अब बाकी कुछ जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर इस लड़ाई को 'विश्व युद्ध' क्यों कहा जाता है और दुनिया पर इसका प्रभाव क्या पड़ा था। दरअसल, इस युद्द में भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण से ही इसे 'विश्व युद्ध' बताया जाता है।
ये भी बताया जाता है कि World War I (प्रथम विश्व युद्ध) के कारण से लगभग आधा विश्व हिन्सा की चपेट में आ गई थी और इस दौरान करीबन 1 करोड़ लोगों की मौत हुई थी जबकि 2 करोड़ से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे गए थे।
इस युद्ध के खत्म होते-होते विश्व के 4 बड़े साम्राज्यों रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया (तुर्क साम्राज्य) का विनाश हो गया था। इसके बाद यूरोप की सरहदें फिर से निर्धारित हुईं और साथ ही अमेरिका भी एक 'सुपरपॉवर' के रूप में विश्व के सामने उभरा।
आपको बता दें की World War I (प्रथम विश्व युद्ध) के लिए किसी एक घटना को उत्तरदाई नहीं ठहरा सकते हैं। इस जंग को 1914 तक हुई कई घटनाओं और वजहों का परिणाम बताया जा सकता है। हालांकि फिर भी इस युद्ध का तात्कालिक कारण तो यूरोप के सबसे विशाल ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी बीवी की बोस्निया में हुई हत्या को ही बताया जाता है।
जानकारी के मुताबिक, 28 जून, 1914 को उनकी हत्या हुई थी, जिसका आरोप सर्बिया पर लगाया गया था। इस घटना के एक महीने बाद ही यानी 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर हमला कर दिया था। इसके बाद इस युद्ध में कई देश शामिल होते गए और आखिरकार इसने World War का रूप ले लिया। जो की इतिहास में लिखा जा चूका है।