कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम व विटामिन-बी से भरपूर ओट्स आपके नर्वस सिस्टम के लिए बहुत लाभकारी होता है, व आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है.
ओट्स में पाया जाने वाला इनोजिटॉल रक्त में वसा के स्तर को नियंत्रित करता है, व उसे बढ़ने नहीं देता. यह शरीर में मौजूद अलावा वसा को भी कम करता है. इतना ही नहीं ओट्स पेट संबंधी रोगों में भी बहुत ज्यादा फायदा देता है. यह कब्ज को दूर कर, पेट बेकार होने की समस्या से निजात दिलाने में सहायक है. रोजाना अपने नाश्ते या खाने में ओट्स को शामिल करने से डाइबिटीज की समस्या में फायदा होता है, क्योंकि यह इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक होता है. आपकी स्कीन को खूबसूरत बनाने के लिए भी ओट्स आपकी मदद कर सकता है. इससे बना फेसपैक चेहरे पर लगाने से स्कीन कोमल व स्वस्थ बनती है. ओट्स के चोकर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो जल्दी पेट भरने के साथ-साथ आपके शरीर में उर्जा संचार करता है, व यह वजन कम करने में बेहद लाभप्रद है.
इतना ही नहीं कैंसर से बचाव के लिए भी ओट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके इस्तेमाल से दिल रोग होने का खतरा भी कम होता है क्योंकि यह दिल की धमनियों में वसा को जमने से रोकता है. शरीर में गर्मी बढ़ने के कारण होने वाली समस्याओं जैसे चक्कर आना, दिल घबराना जैसी समस्याओं में ओट्स लाभकारी है, क्योंकि इसकी प्रकृति ठंडी होती है. रूखी स्कीन या एक्जिमा जैसी तकलीफ में भी ओट्स सहायक होता है. ओटमील बाथ लेने से स्कीन की जलन खत्म होती है व रूखापन भी समाप्त हो जाता है. ओट्स को दूध में मिलाकर बनाए गए स्क्रब का इस्तेमाल करने से स्कीन की चमक बढ़ जाती है, व स्कीन लंबे संमय तक जवां व खूबसूरत दिखाई देती है.
वज़न कार्य करने में सहायक वहीँ बढ़ते वजन को कम करने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं. जिम में घंटों पसीना बहाने के साथ लंबी-लंबी वॉक व डाइटिंग के स्ट्रीक रूल्स को अनुसरण करना सब रूटीन में शामिल रहता है. आप भी अगर अपना वजन कम करने के लिए ये सब कुछ करके थक चुके हैं व कोई लाभ नहीं मिल रहा है तो अपने नाश्ते में हेल्दी ओट्स को शामिल करें. आपको बता दें, कि ये ओट्स सीधा बनाकर नहीं खाने हैं. वजन कम करने के लिए इन ओट्स को पहले रातभर भिगोकर रखा जाता है. भीगे हुए ओट्स खाने से तेजी से वजन कम होने के साथ कोलेस्ट्रॉल लेवल भी घटता है. नाश्ते में भिगोकर बनाएं गए ओट्स में न्यूट्रिएंट्स (पोषक तत्व) सीधा पकाए हुए ओट्स की तुलना में अधिक होते हैं. आइए जानते हैं स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभकारी हैं ओट्स व वजन कम करने के लिए कैसे इन्हें बनाएं.
कैसे बनाएं- भिगे हुए ओट्स बनाना बेहद सरल है. ओट्स बनाने के लिए आप रातभर उन्हें दूध, पानी, अलमंड मिल्क, कोकोनट मिल्क, दही जैसी किसी भी एक वस्तु में भिगा कर रख दें. प्रातः काल तक ओट्स फूल जाएंगे. इसके बाद इस ओट्स में अपने मनपसंद फल (केला, अंगूर, अनार, पाइन एप्पल, कीवी, संतरा, बेरीज, स्ट्रॉबेरी) व नट्स (काजू, बादाम, पिस्ता, किशमिश, गरी, मखाना, अखरोट आदि) काटकर डाल दें. आपके ओट्स तैयार हैं. वजन कम करने के लिए आप प्रतिदिन इनका सेवन करें.
सेहत के लिए रामबाण- आंच में पकाने से खाद्य पदार्थ के कई पोषक तत्व मर जाते हैं. लेकिन रात भर भीगे हुए ओट्स प्रातः काल तक इतने मुलायम हो जाते हैं कि इन्हें खाया जा सके. लंबे समय तक भीगे रहने के कारण ओट्स में उपस्थित सटार्च टूट जाते हैं, जिससे ओट्स में साइटिक एसिड कम हो जाता है. जो सरलता से पचने में मदद करता है. रात में भिगाकर बनाए गए ओट्स का सेवन करने से आदमी का वजन तेजी से इसलिए कम होता है क्योंकि ये ओट्स आंच में पकाए गए ओट्स के मुकाबले ज्यादा सुपाच्य व फाइबरयुक्त होते हैं. इन ओट्स में फाइबर ज्यादा होने की वजह से आदमी का पेट देर तक भरा हुआ रहता है. इसके अतिरिक्त इस तरह खाए गए ओट्स आंतों की गंदगी साफ करके शरीर की ज्यादा चर्बी घटा सकते हैं.
ओट्स का इतिहास ओट्स रोमन लोगों के लिए एक निम्न स्तर का लेकिन पौष्टिक भोजन था, जिन्होंने "ओट-ईटिंग बर्बर", या उन इलाकों की जर्मेनिक जनजातियों पर धावा बोला, जिन्होंने अंततः पश्चिम रोमन साम्राज्य को पछाड़ दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं की रोम कभी स्कॉट्स को जीतने में सक्षम नहीं थे क्यूंकि वे रोमन से भी बड़े ओटस खाने वाले थे. पोषण विशेषज्ञ कहते हैं की ओट्स यूरोप में लगभग 3,000 वर्ष पहले उत्पादित होने वाले प्रमुख अन्न अनाज में से आखिरी थे, व जाहिरा तौर पर खरपतवार के रूप में उत्पन्न हुए थे जो विभिन्न अन्य फसलों के खेती वाले खेतों के भीतर बढ़े थे. इस कारण लोग जई को गंगू या अन्य फसल की तुलना में कार्य पसंद करते थे। लेकिन ओट्स यानी जई प्राकृतिक वसा व अन्न में उपस्थित वसा घुलने वाले एंजाइम की उपस्थिति के कारण बहुत जल्दी गल जाते हैं.
ओट्स में वसा 21% संतृप्त, 37% मोनोअनसैचुरेटेड व 43% पॉलीअनसेचुरेटेड के लिपिड टूटने के साथ अपेक्षाकृत स्वस्थ हैं. यूनानियों व रोमियों ने जई को गेहूं के रोगग्रस्त संस्करण से ज्यादा कुछ नहीं माना. आज भी, वाणिज्यिक रूप से उगाए गए 5% से भी कम ओटस मानव उपभोग के लिए हैं. जई का मुख्य मूल्य विशेष रूप से घोड़ों के लिए एक चारागाह व घास की फसल के रूप में रहता है. हजारों वर्ष बाद व कई साम्राज्यों के बाद भी, अधिकतर लोग अभी भी पकड़े नहीं गए हैं.