वैदिक ज्योतिष में पंचांग का बड़ा महत्व होता है और मुहूर्त के बारे में जानने का एकमात्र साधन है पंचांग।
पंचांग के 5 अंग होते हैं- -वार-तिथि -नक्षत्र -योग -करण
गणना के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है।
इनमें तिथियों को पांच भागों में बांटा गया है। -नंदा -भद्रा -जया -रिक्ता -पूर्णा तिथि
उसी प्रकार पक्ष भी दो भागों में विभक्त है; -शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष।
वहीं नक्षत्र 27 प्रकार के होते हैं।
एक दिन में 30 मुहूर्त होते हैं। -इनमें सबसे पहले मुहूर्त का नाम रुद्र है जो प्रात:काल 6 बजे से शुरू होता है। -इसके बाद क्रमश: हर 48 मिनट के अतंराल पर आहि, मित्र, पितृ, वसु, वराह, विश्वेदवा, विधि आदि होते हैं।-इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य के निरायण और अक्षांश को 27 भागों में बांटकर योग की गणना की जाती है।
नामकरण संस्कार के लिए शुभ मुहुर्त- संक्रांति के दिन और भद्रा को छोड़कर 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 तिथियों में, जन्मकाल से ग्यारहवें या बारहवें दिन, सोमवार, बुधवार अथवा शुक्रवार को तथा जिस दिन अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, अनुराधा, तीनों उत्तरा, अभिजित, पुष्य, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा इनमें से किसी नक्षत्र में चंद्रमा हो, तब बच्चे का नामकरण करना चाहिए।
मुण्डन संस्कार के लिए शुभ मुहुर्त- जन्मकाल से अथवा गर्भाधान काल से तीसरे अथवा सातवें वर्ष में, चैत्र को छोड़कर उत्तरायण सूर्य में, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार अथवा शुक्रवार को ज्येष्ठा, मृगशिरा, चित्रा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पुनर्वसु, अश्विनी, अभिजित व पुष्य नक्षत्रों में, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 तिथियों में बच्चे का मुंडन संस्कार करना चाहिए।
विद्या आरंभ संस्कार के लिए शुभ मुहुर्त-
उत्तरायण में (कुंभ का सूर्य छोड़कर) बुध, बृहस्पतिवार, शुक्रवार या रविवार को, 2, 3, 5,6, 10, 11, 12 तिथियों में पुनर्वसु, हस्त, चित्रा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मूल, तीनों उत्तरा, रोहिणी, मूल, पूष्य, अनुराधा, आश्लेषा, रेवती, अश्विनी नक्षत्रों में विद्या प्रारंभ करना शुभ होता है।
मकान खरीदने के लिए शुभ मुहुर्त- बना हुआ मकान खरीदने के लिए मृगशिरा, अश्लेषा, मघा, विशाखा, मूल, पुनर्वसु एवं रेवती नक्षत्र उत्तम हैं।
पैसों के लेन-देन के लिए शुभ मुहुर्त- मंगलवार, संक्रांति दिन, हस्त नक्षत्र वाले दिन रविवार को ऋण लेने पर ऋण से कभी मुक्ति नहीं मिलती। मंगलवार को ऋण वापस करना अच्छा है। बुधवार को धन नहीं देना चाहिए। कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तरा तीनों, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल नक्षत्रों में, भद्रा, अमावस्या में गया धन, फिर वापस नहीं मिलता बल्कि विवाद बढ़ जाता है।