लखनऊ. उत्तर प्रदेश में मंगलवार को कोविड-19 के 388 नये मामले सामने आये और कुल मामलों की संख्या 11 हजार के आंकडे को पार कर गयी है जबकि 18 और मौतें होने से मृतक संख्या बढ़कर 301 हो गई. 6669 लोगों को मिली छुटटी प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा, श्प्रदेश में 4365 संक्रमण के उपचाराधीन मामले हैं. कुल 6669 लोग उपचारित होकर अस्पतालों से छुटटी पा चुके हैं जबकि 301 लोगों की मौत इस संक्रमण की वजह से हुई है. प्रदेश में 388 नये मामलों के साथ ही कुल मामलों की संख्या बढकर 11, 335 हो गयी है जबकि मंगलवार को 18 और मौतों के साथ ही मृतकों का आंकड़ा 301 हो गया. प्रसाद ने बताया कि पृथक वार्ड में 4482 लोग रखे गये हैं, जिनमें से 115 आक्सीजन पर और नौ वेंटिलेटर पर हैं. पृथकवास में 7736 लोग हैं, जिनके नमूने लेकर जांच करायी जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में सोमवार को 12,666 नमूनों की जांच की गयी. पूल टेस्टिंग के माध्यम से सोमवार को ही पांच पांच नमूनों के 965 पूल लगाये गये जबकि दस दस नमूनों के 89 पूल लगाये गये. प्रमुख सचिव ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं ने अब तक 14, 28, 209 प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों के घर घर जाकर उनका हालचाल जाना . उनमें से 1300 से अधिक कामगारों में कोरोना संक्रमण के कोई ना कोई लक्षण पाये गये. आशा कार्यकर्ताओं ने इसकी सूचना दी और सभी ऐसे लोगों के नमूने लेकर जांच करायी जा रही है . प्रदेश में कुल 30 लाख से अधिक प्रवासी कामगार आये हैं.उन्होंने बताया कि फार्मासिस्टों, आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, सिविल डिफेंस और स्वयंसेवी संगठनों के लिए 1800-180-5146 हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया है . किसी फार्मासिस्ट के यहां अगर कोई बुखार, सर्दी या खांसी की दवा खरीदने आता है तो उसकी सूचना फार्मासिस्ट को हेल्पलाइन नंबर पर देनी चाहिए ताकि उसकी जांच करायी जा सके और संक्रमण है तो उसका भलीभांति उपचार किया जा सके. इसी तरह की जानकारी आशा कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संगठनों आदि को मिले तो उन्हें भी हेल्पलाइन नंबर पर सूचित करना चाहिए. प्रसाद ने बताया कि आरोग्य सेतु का लगाातर उपयोग किया जा रहा है. जिन लोगों को एलर्ट आये, ऐसे 69, 719 लोगों को स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण कक्ष से फोन कर उनका हालचाल लिया गया और सलाह दी गयी. उन्होंने बताया कि 4839 हॉटस्पाट क्षेत्रों और 11, 179 गैर हॉटस्पाट क्षेत्रों की निगरानी करायी गयी. इसके तहत 85, 85, 443 घरों में 4, 37, 13, 029 लोगों का सर्वेक्षण किया गया .प्रसाद ने कहा कि ग्राम निगरानी समिति और मोहल्ला निगरानी समिति की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि घर पर पृथकवास का पालन सुनिश्चित कराने की बडी जिम्मेदारी उन पर है. उन्होंने बताया कि शहरों विशेषकर बडे शहरों से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं . ऐसे में शहरी क्षेत्रों में ज्यादा सतर्कता की आवश्यकता है. सामाजिक संगठनों, नगर निगमों, स्वास्थ्य विभाग और हर खासो आम नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे बचाव के तरीके के बारे में लोगों को बतायें और खुद भी अपनायें.मॉस्क के बारे में प्रसाद ने बताया कि मॉस्क दो तरीके का होता है. एक वैसा, जो पूरा प्रयोग में ला सकते हैं, जैसे गमछा, रूमाल और दुपट्टा लेकिन बाजार में मिलने वाले तीन लेयर के मॉस्क का एक ही बार प्रयोग करें. कपडे का मॉस्क यदि प्रयोग कर रहे हैं तो उसे प्रयोग करने के बाद साबुन पानी से साफ कर धूप में सुखाकर ही दोबारा इस्तेमाल में लायें. ऐसे में दोबारा इस्तेमाल करने वाले कम से कम दो मॉस्क साथ रखें, जिन्हें बदल बदल का इस्तेमाल किया जा सके.