लखनऊ में फिल्मसिटी स्थापना के प्रयास पर बोलें वरिष्ठ पत्रकार राजवीर रतन
फिल्मसिटी स्थापना के प्रयास के लिए प्रदेश सरकार को बधाई। प्रदेश में फिल्मसिटी बनाने का काम बीस साल या उससे थोड़ा पहले जब फिल्म नीति और फिल्म बंधु बना था तब ही हो जाना चाहिए था। फिल्मों को सब्सिडी देने से ज्यादा बेहतर विकल्प यहां फिल्म उद्योग के लिए बेहतर आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना ही था, ताकि यहां फिल्म उद्योग पनप सके।
वैसे फिल्में तो यहां लखनऊ में स्टूडियो तैयार कर सन् 1940 से ही बनने लगी थी। मगर ये उद्योग यहां पनपे इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का खाद पानी चाहिए था। सिनेमा टिकटों से पर लगाए 50 पैसे की राशि से अच्छी खासी फिल्म निधि तैयार हुई है। इसका सच्चा इस्तेमाल यहां फिल्म उद्योग विकसित करने में हो। फिल्म सिटी तैयार कर प्रदेश सरकार को यह भी ध्यान में रखना होगा कि यहां के अधिकारी पूर्व में स्थापित चलचित्र निगम और उसके अंतर्गत पूरे सूबे में स्थापित सिनेमाघरों को बिकवाने की नौबत न ला दें।
यहां अपट्रान जैसी लाभ देने वाली इकाइयों और कई निगमों को फायदे के बाद नोच-खसोट का घाटे का सौदा बना दिया गया। कहने को फिल्मसिटी तो यहां नोयडा में भी है पर असल इन्फ्रास्ट्रक्चर वहां भी विकसित नहीं किया गया।