जयपुर: बच्चों में ब्लड कैंसर (Blood cancer) के बाद सर्वाधिक होने वाला कैंसर ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor)देश में तेजी से बढ़ रहा है। देश के नेशनल हेल्थ कार्यक्रम के द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार बड़ों के मुकाबले बच्चों में यह बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। इस बीमारी के लक्षणों को अनदेखा करना हजारों बच्चों के अकाल मृत्यु का कारण बन सकता है। वयस्कों में होने वाले कैंसर में इसका फीसदी 2 से 3 प्रतिशत है, वहीं बच्चों में यह आंकड़ा 26 प्रतिशत है। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, (Bhagwan Mahaveer Cancer Hospital & Research Center) जयपुर के न्यूरो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ नितिन द्विवेदी का बोलना है कि मानव शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर में 40 प्रतिशत कैंसर ब्रेन तक अपनी पहुंच बना लेते हैं।मस्तिष्क में जब असामान्य कोशिकाएं विकसित होने लगती हैं तो ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती है। कोशिकाओं के विकास की गति ट्यूमर के प्रकार के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है, लेकिन इस दौरान कई लक्षण आदमी में नजर आते हैं। इन लक्षणों को अगर गंभीरता से लेकर समय पर डॉक्टर से सलाह ली जाए तो शुरुआती अवस्था में इस पर काबू पाया जा सकता है। जीवनशैली में आए बदलाव की वजह से ब्रेन ट्यूमर के अहम लक्षण सिरदर्द व याददाश्त का निर्बल होना जीवनशैली का भाग बनते जा रहे हैं। आज के समय में ब्रेन टयूमर के इलाज में कई नवीन तकनीक आ रही हैं, इसके बावजूद रोग की पहचान समय पर ना होने के कारण रोगियों की मृत्युदर भी तेजी से बढ़ती जा रही है।इन्हें ना करें अनदेखा बच्चों व वयस्कों में इसके लक्षणों में बहुत ज्यादा समानता है। इन लक्षणों में तेज या लगातार रहने वाला सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या, मांसपेशियों में कमज़ोरी, रह-रहकर कठिनाई होना, शरीर के एक तरफ़ कमज़ोरी या हाथों व पैरों की कमज़ोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली आना, चुभन महसूस करना या स्पर्श कम महसूस होना, अच्छा से बोलने व समझने में कठिनाई या सुध-बुध खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोशी आना, बोलने में परेशानी या व्यक्तित्व में बदलाव।युवाओं में बढ़ती परेशानी 50 साल से ज्यादा की आयु के लोगों के सामने आने वाला ब्रेन ट्यूमर अब युवा अवस्था में भी में तेजी से सामने आ रहा है। 30 से 40 की आयु में भी हजारों रोगी इसका इलाज ले रहे हैं। छोटी आयु में तेजी से बढ़ते मामलों को लेकर मेडिकल साइंस में कई रिसर्च हुई हैं, लेकिन अभी तक इसके कारणों का पता नहीं लग पाया है। कई शोध में पाया गया है कि मोबाइल का अधिक उपयोग व रेडिएशन एक्सपोजर के कारण मस्तिष्क पर कई निगेटिव असर पड़ता है, जिससे आदमी के व्यवहार में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं।80 प्रतिशत रोगी समय पर नहीं लेते उपचार ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों की अनदेखी व समय की पहचान ना होने के कारण 80 प्रतिशत से ज्यादा रोगी ट्यूमर के पूरी तरह से बढ़ जाने के बाद ही न्यूरो एक्सपर्ट के पास आते हैं। एडवांस स्टेज में ट्यूमर की पहचान होने पर उसे तुरंत असर से ऑपरेशन के जरिए इलाज दिया जाता है। कुछ केसेज में रोगी ट्यूमर की पहचान होने के बाद भी बाबा व झाड़-फूंक के चक्कर में फंसकर इलाज मे देरी करते हैं।