कोरोना के हर मुद्दे में इसे लेने से स्थिति गंभीर, पढ़े

अगर कोरोना के संक्रमण का पता लग गया है तो कफ सिरप लेने से बचें. ये कोरोनावायरस की संख्या को व भी बढ़ा सकता है. यह दावा है कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, कफ सीरप में उपस्थित डेक्सट्रोमेथोर्फेन ड्रग कोरोना को रेप्लिकेट यानी संख्या बढ़ाने में मददगार साबित होने कि सम्भावना है. सिरप में डेक्सट्रोमेथोर्फेनड्रग का प्रयोग खांसी रोकने के लिए किया जाता है.
शोधकर्ताओं का बोलना है कि महत्वपूर्ण नहीं कोरोना के हर मुद्दे में इसे लेने से स्थिति गंभीर हो जाए या खतरा बढ़े लेकिन वायरस की संख्या बढ़ सकती है.
संक्रमित बंदरों में व बढ़ा संक्रमण शोधकर्ताओं ने इसकी रिसर्च हरे अफ्रीकन बंदरों पर की जो दवा के प्रभाव के मुद्दे में इंसानों जैसे ही हैं. पेरिस के पॉश्चर इंस्टीट्यूट में शोधकर्ताओं की टीम पहुंची. कोरोना से संक्रमित बंदर को जब डेक्सट्रोमेथोर्फेन दिया गया तो उसकी कोशिकाओं में संक्रमण की दर बढ़ी. शोधकर्ता प्रो। ब्रिएन के मुताबिक, ऐसे परिणाम सामने आने के बाद लोगों तक यह बात पहुंचनी महत्वपूर्ण थी.
बिना डॉक्टरी सलाह लिए जाते हैं ऐसे ड्रग कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नेविन क्रोगेन का बोलना है कि हमने इस ड्रग को भिन्न भिन्न किया जो अक्सर बिना डॉक्टरी सलाह के लिया जाता है. ये संक्रमण को बढ़ावा देता है. लोगों को ऐसे ड्रग लेने से बचना चाहिए. इन पर अभी व रिसर्च की जानी है. यह पता लगाया जाना बाकी है कि कोरोना संक्रमण से पहले ऐसे ड्रग का प्रयोग किया जाना चाहिए या नहीं.
यह ड्रग ब्रेन से निकले खांसी के सिग्नल को दबाता है शोधकर्ताओं के मुताबिक, डेक्सट्रोमेथोर्फेन का प्रयोग सर्दी-खांसी की दवाओं में किया जाता है. यह ड्रग मस्तिष्क के उन सिग्नल को दबाते हैं जो खांसी के लिए जिम्मेदार होते हैं. सर्दी-खांसी की ज्यादातर दवाओं में इसका प्रयोग होने के कारण कोरोना के लक्षण दिखते ही लोग ऐसे सीरप का प्रयोग करना प्रारम्भ करते है.
कोरोना को रोकने वाले ड्रग का चल रहा ट्रायल यह रिसर्च 22 शोधकर्ताओं की टीम ने मार्च में की थी. शोधकर्ताओं के मुताबिक, कई ऐसे ड्रग भी चिन्हित किए गए हैं जो वायरस की बढ़ोतरी को रोकने की प्रयास करते हैं. ऐसे ड्रग्स को कॉम्बिनेशन के रूप में जानवरों पर उनका ट्रायल किया जा रहा है.

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