नई दिल्ली, एशिया के सबसे बड़े रेडिमेड गार्मेंट के थोक बाजार देश की राजधानी दिल्ली स्थित गांधीनगर मार्केट में दुकानें तो अब खुलने लगी हैं, लेकिन ग्राहकी नहीं होने की वजह से बाजार की रौनक गायब है।
कोरोना के कारण गांधीनगर मार्केट की चहल-पहल लुप्त हो गई है। कारोबारी दुकान खोलते हैं, लेकिन ग्राहक नहीं होने की वजह से शाम होने से पहले ही बंद कर देते हैं। कई दुकानें तो इसलिए भी बंद हैं कि दुकानों पर काम करने वाले स्टाफ घर लौट चुके हैं। मतलब, गांधीनगर मार्केट की रौनक गायब होने और सूनापन छाने की वजह दिल्ली से मजूदरों का पलायन भी है।
गांधीगनगर के कपड़ा कारोबारी हरीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि दुकानें खुल रही हैं, लेकिन ग्राहक नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बमुश्किल पहले के मुकाबले 25 फीसदी ग्राहक ही पहुंच रहे हैं, इसलिए जो लोग दुकानें खोलते भी हैं, वे दोपहर बाद बंद कर देते हैं।
उन्होंने बताया कि फैक्टरियां अभी भी बंद हैं, क्योंकि न तो ऑर्डर मिल रहे हैं और न ही कारीगर और स्टाफ हैं। यहां तक कि फैक्टरियों में सफाई करने के लिए भी स्टाफ नहीं हैं, इसलिए कई लोग फैक्टरियां नहीं खोल पा रहे हैं।
हरीश ने बताया कि दिल्ली की सीमाएं सील होने के कारण बाहर के थोक खरीदार नहीं आ रहे हैं जो भी खरीदार हैं वो सब लोकल ही है।
कारोबारी कहते हैं कि रेडिमेड गार्मेंट का एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार गांधीनगर की रौनक तब तक नहीं लौटेगी, जब तक आवागमन का साधन सुगम नहीं होगा।
गांधीनगर स्थित रामनगर रेडिमेड गार्मेंट मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एस.के. गोयल ने कहा कि जब तक दिल्ली की बोर्डर चारों तरफ से सील है, तब तक बाजार खुलने से भी कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि ग्राहकी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि 20-25 फीसदी लोकल ग्राहक ही इस समय आ रहे हैं।
कारोबारी बताते हैं कि जो कोई इस समय दुकानें व फैक्टरियां खोल रहे हैं, वो सिर्फ साफ-सफाई और मन बहलाव के लिए जा रहे हैं।
गांधीनगर की ही कपड़ा कारोबारी कैलाश अग्रवाल ने भी एक दिन पहले से अपने फैक्टरी जाना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि आधी-अधूरी दुकानें ही इस समय खुल रही हैं, क्योंकि मांग नहीं है।
कारोबारी बताते हैं कि जब तक मांग नहीं निकलेगी और नए ऑर्डर नहीं आएंगे, तब तक गार्मेंट फैक्टरियों का कामकाज पटरी पर नहीं लौटेगा।
आईएएनएस