दुनिया स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे कोरोना वायरस संक्रमण के मुद्दे में सीवियर कैटेगरी में हैं यानी ऐसे बच्चों को कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा है। लेकिन डॉक्टरों की मानें तो बच्चे इस वायरस से लड़ने में सक्षम नजर आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है उनका स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम व मजबूत लंग्स। हालांकि बच्चे कोरोना से बचने के लिए खुद का ज्यादा ख्याल नहीं रख पा रहे हैं जैसे कि वह हाथों को बार बार धोना भूल जाते हैं व गंदे हाथों से ही खाना खा लेते हैं या फिर किसी गंदी वस्तु को पकड़ने के बाद उसी हाथ से अपना मुंह, नाक या आंखों को छू लेते हैं।ये कठिनाई सबसे ज्यादा छोटे बच्चों के साथ है। ऐसे में पैरेंट्स को खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। दैनिक भास्कर की समाचार के अनुसार WHO ने इसके लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें स्पष्ट तौर पर बोला गया है कि ऐसे बच्चों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। इस बारे में जयपुर स्थित जेके कर्ज़ हॉस्पिटल के चिकित्सक अशोक गुप्ता ने भी कई बातें सामने रखी हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो बातें।बच्चों में किस तरह के हैं कोरोना सिम्पट्म्स? जयपुर स्थित जेके कर्ज़ हॉस्पिटल के चिकित्सक अशोक गुप्ता ने बताया कि 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों में कोरोना के सिम्पट्म्स अन्य मरीजों की तुलना में थोड़ा अलग आ रहे हैं। इनमें बुखार, जुकाम-खांसी, लूज मोशन, दौरा आना, पेट में दर्द होना जैसे लक्षण शामिल हैं। 40 प्रतिशत केस में बच्चों के पेट में इंफेक्शन मिल रहा है।कोरोना का खतरा बच्चों को ज्यादा क्यों है? डाक्टर अशोक के अनुसार बच्चों को कोरोना का इंफेक्शन इसलिए ज्यादा हो रहा है, क्योंकि छोटे बच्चों को हाथ धुलने या सैनिटाइज करने के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता है। बच्चे खेलते-कूदते भी ज्यादा हैं व सतह के सम्पर्क में भी ज्यादा आते हैं। इसलिए बच्चों के हाथ में संक्रमण आ जाता है व वह संक्रमित हो जाते हैं। बड़े लोग समझदार हैं, इसलिए वह इन सब चीजों के प्रति सजग रहते हैं। ऐसे में उन पैरेंट्स को जिनके बच्चे छोटे हैं, उन्हें ज्यादा जागरूक रहने की आवश्यकता है।बच्चों को कोरोना से कितना खतरा है? डाक्टर अशोक ने बताया कि उनके अस्पताल में अभी तक 80 से ज्यादा कोरोना संक्रमित बच्चे भर्ती हुए हैं। इनमें से तीन बच्चों की कोरोना से मृत्यु भी हुई है जबकि 92 प्रतिशत बच्चे अच्छा हो गए हैं। कुछ का उपचार चल रहा है। 95-96 प्रतिशत बच्चे अच्छा हो रहे हैं।किस तरह के केस आ रहे हैं? डाक्टर अशोक ने बताया कि एक बच्चे को रेड सिंड्रोम आया। पहले उसे बुखार आना प्रारम्भ हुआ फिर दौरे आए। बच्चे का टेस्ट करवाया गया तो कोविड पॉजिटिव आया। उसका कोरोना स्टेट्स ज्यादा गंभीर था। उसमें सामान्य मरीजों से तेज कोरोना के सिम्पट्म्स देखने को मिले। उसे नेगेटिव होने में 13 से 14 दिन लग गए थे।कैसे किया जा रहा है इलाज? डाक्टर अशोक के अनुसार जिन बच्चों के दशा ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं, उन्हें सुरक्षा आधारित बेसिक उपचार दिया जा रहा है। वहीं जिन बच्चों की स्थिति ज्यादा गंभीर होती है, उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा देते हैं। उससे भी ज्यादा गंभीर केस में वेंटिलेटर का प्रयोग कर रहे हैं। अब तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, जिन बच्चों को दिया है, वे सभी अच्छा हो गए हैं।बच्चों के केस में पॉजिटिव बातें क्या हैं? पहली बात- ज्यादातर बच्चों में गंभीर कोरोना बीमारी वाली स्थिति नहीं बन रही है। इसकी वजह यह है कि बच्चों में साइटोकाइन स्टॉर्म सिंड्रोम वाली स्थिति कम बनती है, क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम उतना परिपक्व नहीं होता है जितना इस बीमारी को पनपने के लिए चाहिए। इसलिए बच्चों में गंभीरता वाली स्थिति कम बनती है। दूसरी बात- बच्चों का लंग्स बड़ों की तुलना में ज्यादा हेल्दी होता है क्योंकि उसे पॉल्युशन का एक्सपोजर नहीं होता है। इसलिए लंग्स कोरोना बीमारी को सरलता से प्रतिरोध कर पा रहे हैं।