नोवेल कोरोना वायरस के कुछ राष्ट्रों में दूसरी लहर की संभावना के बीच हिंदुस्तान के वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक शेखर मंडे ने बोला
कि जो लोग कोरोना के प्रति आबादी में हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने का इंतजार कर रहे हैं वे संक्रमण के जोखिम को बढ़ावा दे रहे हैं. सभी राष्ट्रों को जनसंख्या में हर्ड इम्यूनिटी विकसित का इंतजार करने की बजाय समय रहते ठोस कदम उठाने की जरुरत है. बताते चलें कि हर्ड इम्यूनिटी तब विकसित होती है जब देश की आबादी का अधिकतर भाग किसी संक्रामक बीमारी के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली हासिल कर लेता है. क्योंकि वे संक्रमित होकर इलाज या टीकाकरण के बाद फिर से अच्छा हो जाते हैं. जब ऐसा होता है तो संक्रमण के अन्य लोगों में फैलने की आसार कम होती है क्योंकि अभी पर्याप्त वाहक नहीं हैं.
मांडे ने बोला कि हर्ड इम्यूनिटी तक कार्य करती है जब किसी देश की 60-70 फीसदी आबादी प्रभावित हुई हो व किसी भी देश के लिए यह बहुत बड़ा जोखिम है. इसलिए हमें पहले से ही तैयार रहना होगा. उन्होंने कोविड-19 की दूसरी लहर की भी संभावना जताई है.
तीन तरह से बन रही देसी वैक्सीन मांडे ने बोला कि कोरोना वायसरस के विरूद्ध लड़ाईमें सीएसआइआर ने पंच-आयामी उपाय अपनाया है. इसमें निगरानी, निदान, नए इलाज के नए ढंग खोजकर रोगी की जान बचाना, अस्पताल के सहायक उपकरणों व आपूर्ति श्रृंखला मॉडल का विकास करना व सप्लाई चेन मॉडल प्रमुख हैं. वहीं देसी वैक्सीन केबारे में बताते हुए उन्होंने बोला कि हम तीन भिन्न-भिन्न उपायों से वैक्सीन तैयार करने का कोशिश कर रहे हैं. पहली एक इम्यून बूस्टिंग वैक्सीन है जो संक्रमित की प्रतिरक्षा में सुधार करता है. यह वैसे देश में तीन भिन्न-भिन्न स्थानों में परीक्षण के गुलाम है व अगले 15 दिनों में परिणाम आने की उम्मीद है. इसके अतिरिक्त मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जिसे सीएसआईआर ने नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस, पुणे (एनसीसीएस), आईआईटी इंदौर व हिंदुस्तान बायोटेक की मदद से तैयार कर रहा है. वहीं तीसरी वैक्सीन कॉनवैल्सेंट प्लाज्मा थेरेपी है जिसका परीक्षण कोलकाता में चल रहा है.