नोवल कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में अबतक 64 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. व 3 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई है.
वहीं 29 लाख से ज्यादा लोगों ने कोविड-19 से जिंदगी की जंग जीती है. दुनियाभर के वैज्ञानिक कारोना का उपचार तलाश कर रहे हैं. लेकिन अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. हिंदुस्तान में भी कोरोना से लड़ने के लिए कई कोशिश किए जा रहे हैं. कोरोना वायरस से संक्रमित के लिए उपचार के लिए हिंदुस्तान के नए कोशिश में कोरोना मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए अब प्रोटीन से उपचार होगा. इसको लेकर केजीएमयू व कोरिया के मेडिकल रिसर्च संस्थान के बीच करार हुआ है. केजीएमयू पैथोलॉजी ने शोध का खाका तैयार कर भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को भेज दिया है. डॉक्टरों ने जल्द ही प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की उम्मीद जाहिर की है.
कोरोना संक्रमण का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. सबसे ज्यादा खतरा उनकी मरीजों को जो पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. उनमें वायरस का हमला खतरनाक होने की संभावना बढ़ जाती है. केजीएमयू पैथोलॉजी विभाग के डाक्टर वाहिद अली ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है. फेफड़ों में पानी भरने लगता है. निमोनिया हो जाता है. कोरिया के वैज्ञानिकों ने कोरोना मरीजों पर शोध कर पाया है कि यह सब कठिनाई ऐंजियो टेनिसिन कनवर्टर एंजाइम के असंतुलन से होता है. यह एंजाइम प्रोटीन हैं. जो जीवित कोशिकाओं के भीतर उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं.
डाक्टर वाहिद के मुताबिक कोरिया ने प्रोटीन-प्रोटीन एनीवीटर तैयार किया है. जो कोरोना वायरस को समाप्त करने में अच्छा साबित हो रहा है. अभी वहां शोध दूसरे चरण में है. केजीएमयू साथ में मिलकर प्रोटीन-प्रोटीन एनीवीटर का प्रयोग मरीजों पर करेगा. आरंभ में कोरोना मरीजों के खून से निकाले गए सीरम पर इसके असर को देखा जाएगा. यह प्रक्रिया प्रयोगशाला में होगी. यहां सफलता मिलने के बाद मरीजों पर इसका प्रयोग किया जाएगा. आईसीएमआर को प्रस्ताव भेजा गया है. केजीएमयू एथिक्स कमेटी में इसे मंजूरी के लिए रखा जाएगा. इसके बाद शोध की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाएगी. इंजेक्शन के रूप में आने वाली यह प्रोटीन-प्रोटीन एनीवीटर कोरिया का शोध संस्थान उपलब्ध कराएगा.