Pradosh Vrat: 3 जून को प्रदोष व्रत है. यह एक पवित्र व्रत है. इस व्रत में भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है. भगवान भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है. इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. भगवान शिव का आर्शीवाद बना रहता है.
प्रदोष व्रत का महत्व प्रदोष व्रत का पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व बताया गया है. इस व्रत की पूजा सुबह और शाम दोनों समय में की जाती है. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से जीवन में धन की कमी दूर होती है, रोगों से मुक्ति मिलती है. रूके हुए कार्य पूर्ण होते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.
प्रदोष व्रत की विधि पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. यह महत्वपूर्ण व्रत है. विधि विधान से इस व्रत को पूर्ण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें.
भगवान शिव करते हैं नृत्य प्रदोष व्रत के दौरान पड़ने वाले प्रदोष काल को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. शिव जी जब प्रसन्न होते हैं तो अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं.
प्रदोष व्रत पूजा समय 17 बजकर 11 मिनट से 9 बजकर 15 मिनट तक
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