बील या बेल खाना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी

बील या बेल एक ऐसा ही फल हो, जो अपने विशेष गुणों के कारण गर्मियों में अधिक उपयोग किया जाता है. आयुर्वेद में भी बेल के फल व पत्ते दोनों को समान रूप से उपयोगी माना गया है.

फल का गुदे में क्यूसिलेज पेक्टिन तथा टेनिन आदि रसायन पाए जाते हैं. फल का गूदा, पत्ते, मूल एवं छाल का चूर्ण तथा पेड़ के अन्य सभी अंग एवं अवयव उपयोग में लिए जाते हैं. बेल का चूर्ण बनाने के लिए कच्चा, मुरब्बे के लिए अधपका व ताजे शर्बत के लिये पके हुए फल का उपयोग होता है. बेल का उपयोग स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी होता है. आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में:-
अस्थमा बेल-पत्रों से बना क्वाथ (काढ़ा) सर्दी-जुकाम के कहर को कम करता है. यह सर्दी से होने वाली श्लेष्मा (कफ) को कम करता है व अस्थमा के प्रसार को धीमा करता है.
आंखों का संक्रमण बेल-पत्रों को आंखों में होने वाले विभिन्न संक्रमण तथा सूजन के निदान में व्यवहार किया जाता है. खासतौर से नेत्र-शोध (Psoralen) यह बहुत प्रभावी होता है.
बुखार बेल-मूल तथा पेड़ का छाल से बने क्वाथ से विभिन्न तरह के ज्वरों का उपचार किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में बेल-मूलों से वात-कफ-पित्त से होने वाले दोषों तथा ज्वरों को सही किया जाता है.
कब्ज उदर विकारों में बेल का फल रामवाण दवा के रूप में उपयोग किया जाता है. फल के नियमित सेवन से कब्ज जड़ से खत्म हो जाता है. बेल फल उदर की स्वच्छता के अतिरिक्त आंतों को साफ कर उन्हें ताकत भी देता है.
डायरिया गर्मियों में प्राय: अतिसार/ डायरिया की वजह से पतले दस्त होने लगते हैं, ऐसी स्थिति में कच्चे बेल को आग में भून कर उसका गूदा, रोगी को खिलाने से फौरन फायदा मिलता है. बेल का मुरब्बा खाने से पित्त और अतिसार में फायदा होता है. पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाना लाभप्रद है.
लू से बचाए गर्मियों में जरा-सी असावधानी से लू लगने का खतरा बना रहता है, इसलिए गर्मियों में बेल का सेवन जरूर करें. अगर लू लग जाए, तो समाधान करने के लिए बेल के ताजे पत्तों को पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलुओं में अच्छा से मलें. इसके अतिरिक्त सिर, हाथ, छाती पर भी इसकी मालिश करने से राहत मिलती है. बेल के शर्बत में मिश्री मिलाकर पीने से भी तुरंत राहत मिलती है.
अल्सर बेल फल तथा बेल पत्रों के रस से बनी दवाओं का इस्तेमाल पेप्टिक अल्सर को अच्छा करने के लिए किया जाता है. फल के गूदे से गैस्ट्रिक म्यूकोसा पर म्यूसिलेजिनस लेयर बन जाती है, जिससे अम्लता म्यूकोसल स्तर के साथ रिएक्शन नहीं कर पाती है व अल्सर बढ़ने से रूक जाता है.कान की समस्या बेल की जड़ों में एस्ट्रिंजेंट ए्क्टिविटी पाई जाती है व इसी वजह से यह घरेलू तरीकों में कान की समस्या को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है. बेल की जड़ों को नीम के पत्तों के साथ मिलाकर बनी दवाएं कान के संक्रमण, असाध्य सूजन तथा पस को निकलाने में मदद करती है.
कैंसर अध्ययनों ने बताया है कि बेल फल के सत्त में एंटी-प्रोलिफरेटिव एक्टिविटी होती है. जो मानवों में ट्यूमर सेल्स के फैलाव को रोकने में मदद करती है. गूदे से बने शर्बत में जल में घुलनसील एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फेनोलिक तत्व तथा एंटी-म्यूटाजेन्स पाए जाते हैं, जो कैंसर-रोधी होते हैं तथा ये शरीर की सेल्स को फ्री-रेडिएशन से होने वाली क्षति से बचाते हैं.

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