गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में यूजीसी और एमएचआरडी के निर्देशों की खुलकर अवहेलना हो रही है।
विश्वविद्यालय के कई विभागों के पीएचडी शोधार्थियों को इस पूरे वर्ष कोई फेलोशिप नहीं मिली हैं, जबकि आधा साल बीत चुका है।
वहीं पीएचडी रेजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक डीआरसी की मीटिंग पूरे एक वर्ष बाद भी होती नहीं दिख रही; नियमानुसार यह मीटिंग छः माह में हो जानी चाहिए।
फेलोशिप के लिए शोधार्थी बार बार अपने विभागाध्यक्ष, कुलपति और एमएचआरडी को भी मेल कर चुके हैंहद तो यह है कि फेलोशिप के लिए शोधार्थियों को सीधा एमएचआरडी को मेल करना पड़ा था।
उसके बाद कुछ ही विभागों की फेलोशिप 1.5 माह पूर्व आई थी। पर उसके उपरांत भी अभी भी कई विभागों के शोधार्थियों को फेलोशिप नहीं मिली है।
ज्ञातव्य है कि इस विषय में सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि लॉकडाउन में किसी भी शोधार्थी की फेलोशिप ना रोकी जाए।
इस विषय में कई बार शोधार्थी अपने विभागाध्यक्ष एवं प्रशासन में अन्य अधिकारियों से बात कर चुके हैं पर परिणाम शून्य ही निकला।
लॉकडाउन में फेलोशिप ना मिलने के कारण शोधार्थियों को आर्थिक संकटों से जूझना पड़ रहा है।
छः माह में होने वाली डीआरसी मीटिंग का साल भर बाद भी कोई अता-पता नहीं
पिछले वर्ष अप्रैल माह में विश्वविद्यालय में पीएचडी में एडमिशन हुए थे। नियामानुसार छः माह बाद उनकी डीआरसी मीटिंग होनी थी जिसके उपरान्त उनका पीएचडी रेजिस्ट्रेशन होता।
परन्तु अब साल भर बीत जाने बाद भी डीआरसी होने के कोई आसार नहीं है। विश्वविद्यालय के ही अध्यादेश के अनुच्छेद 7.1 के अनुसार कोर्सवर्क परीक्षा के परिणाम घोषित होने के 2 महीने के अंदर-अंदर डीआरसी की मीटिंग होनी अनिवार्य है।
यह परिणाम घोषित होकर 1.5 महीना बीत चुका है पर डीआरसी की कोई घोषणा नहीं हो रही है।
लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए ही एमएचआरडी ने डीआरसी की मीटिंग ऑनलाइन करने का आदेश दिया था, जिसके बाद कई विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन डीआरसी भी की गई, पर गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में इसपर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
यहाँ यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि इस वर्ष जून माह के अंत तक शोधार्थियों को आईसीएसएसआर जैसी प्रतिष्ठित फेलोशिप के लिए आवेदन देने की अंतिम तिथि है।
ऐसे में यदि डीआरसी और रेजिस्ट्रेशन ना हुआ तो शोधार्थी कम से कम 1 वर्ष के लिए इस अवसर से चूक जायेंगे।
स्पष्ट है कि समय रहते यदि विश्वविद्यालय प्रशासन सक्रिय हुआ होता तो अब तक समयानुसार डीआरसी हो गयी होती।