सिडनी :दुनिया के लिए काल बन चुके कोरोना वायरस को लेकर नए शोध सामने आ रहे हैं। एक हालिया शोध में पता चला है कि जो लोग जोर-जोर से बात करते हैं उनके मुंह से निकली हजारों बूंदें गायब होने से पहले 8 से 14 मिनट तक हवा में रह सकती हैं,इससे कोरोना फैलने का खतरा कई गुणा तक बढ जाता है। अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार श्वास संबंधी वायरस जैसे सार्स-कोव-2 या तो संक्रमित से सीधे संपर्क में आने पर फैलते हैं या फिर संक्रमित के मुंह से निकली बूंदों के हवा में तैरने के कारण। इसी वजह से खांसने और छींकने को इस प्रसार में अहम माना जाता है। लेकिन, सिर्फ बोलने से भी हवा में हजारों बूंदें निकलती हैं और शोधकर्ता यह देखना चाहते थे कि बोलने से मुंह से कितनी बूंदें निकलती हैं और कब तक हवा में मौजूद रहती हैं।
शोधकर्ताओं ने लोगों से वाक्यांशों को दोहराने का कहकर संवेदनशील लेजरों का उपयोग उनके द्वारा उत्पादित बूंदों को देखा। उन बूंदों को एक बंद, स्थिर हवा के वातावरण में क्षय होते हुए भी देखा गया। शोध में यह पता लगा था कि कोरोना से संक्रमित मरीज के मुंह से निकली बूंदों में कितने वायरल आरएनए पाए जाते है। इस शोध के आधार पर नए शोध में पता चला है कि एक मिनट तक जोर-जोर से बोलने पर कम से कम 1000 वायरस युक्त बूंदें मुंह से बाहर निकल सकती हैं। उनके अवलोकनों से पता चलता है कि ये बूंदें आठ मिनट से अधिक समय तक हवा में रहती हैं, और कभी-कभी 14 मिनट तक भी रह सकती हैं।
इस शोध को एक स्थिर हवा वाले कमरे में किया गया है। इस शोध से यह चिंता भी बढ़ गई है संक्रमित व्यक्ति के सिर्फ बात करने से भी घातक कोरोनावायरस को प्रसार हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार कुछ मरीज़ औसत से बहुत अधिक मात्रा में वायरस का उत्पादन करते हैं, जो कि वायरस युक्त बूंदों की संख्या को 100,000 से अधिक प्रति मिनट तक बढ़ा सकता है। इस शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि किसी भी परिस्थिति में मास्क पहनना अनिवार्य है ताकि किसी भी तरह से संक्रमण का प्रसार रुक सके।