ब्रिटिश कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐसा पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड स्कैनर बनाया है जिससे कोरोना पीड़ितों के उपचार में मदद मिलेगी. यह स्कैनर मरीजों के फेफड़ों को हाल बताता है.
इसके कहीं सरलता से ले जाया जा सकता है. स्कैनर को तैयार करने वाले अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा है कि यह प्रयोगशाला में होने वाले टेस्ट के मुकाबले तेजी से नतीजे बताता है.
एआई से लैस है स्कैनर शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह स्कैनर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस है. इसे फेफड़ों की तस्वीरों वाली औनलाइन लाइब्रेरी से जोड़ा गया है. कोरोना के मरीजों पर स्कैनर लगाने पर यह बताता है कि वायरस ने फेफड़ों को किस हद तक प्रभावित किया है.
शोधकर्ताओं का दावा, सटीक नतीजे बताता है स्कैनर
शोधकर्ताओं का बोलना है कि यह स्कैनर बताता है कि फेफड़े कितने तेजी से बेकार हो रहे हैं. इसे प्रयोग करना बहुत ज्यादा सरल है. कम अनुभव वाले चिकित्सक भीइससे सटीक नतीजेबता सकते हैं. शोधकर्ताओं की टीम जल्द हीफेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की कनाडा की पहली अल्ट्रासाउंड लाइब्रेरी तैयार करेगी.
ग्रामीण क्षेत्र में 50 स्कैनर बांटे गए शोधकर्ताओं का बोलना है कनाडा के वैंकूवर शहर में इस पर रिसर्च की जा रही है. अभी ग्रामीण क्षेत्र के फैमिली डॉक्टरों व मेडिकल यूनिट को 50 स्कैनर दिए गए हैं ताकि कोरोना मरीजों का उपचार बेहतर व सरल हो सके. इसके अतिरिक्त वैंकूवर कोस्टल हेल्थ एजेंसी शहरी क्षेत्र में 30 स्कैनर वितरित करेगी.
इस टीम ने बनाई डिवाइस इसे तैयार करने वाली टीम में सैंट पॉल्स हॉस्पिटल के इमरजेंसी फिजिशियन डाक्टर ओरॉन फ्रेंकेल, ब्रिटिश कोलम्बिया यूनिवर्सिटी की विशेषज्ञ डाक्टर टेरेसा सैंग, वैंकूवर जनरल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डाक्टर पुरैंग एबॉलमैसुमी व मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रॉबर्ट रोलिंग शामिल हैं.