सभी समाज का प्रमुख लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होता है कि बच्चों को एक स्वस्थ वयस्क बनने का मौका मिले व वे अपने समुदायों को बेहतर बनाने में सहयोग कर सकें. इसमें सबसे बड़ी बाधा बाल मृत्युदर व किशोरों और युवाओं का बेकार मानसिक स्वास्थ्य है.
बाल मृत्युदर पर पिछले कुछ दशकों में बहुत ज्यादा कमी दर्ज की गई है, लेकिन मानिसक बीमारी अब भी किशोरों और युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ज्यादातर मानसिक बीमारियां किशोरावास्था या प्राथमिक युवावस्था में प्रारम्भ होती है. 25 वर्ष की आयु से पहले ही 75 प्रतिशत मानसिक बीमारियां पनपती हैं. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के हालिया शोध के अनुसार दुनियाभर में चार में से एक युवा मानसिक बीमारी का शिकार है.
समाजिक व आर्थिक नुकसान बन रहा वजह- किशोरों और युवाओं में मानसिक बीमारियों के पनपने के कारण सिर्फ उन्हें या उनके परिवार को ही नुकसान नहीं पहुंच रहा है, बल्कि इसका खामियाजा सारे समाज, समुदाय व अर्थव्यवस्था को भी भुगतना पड़ रहा है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम व हार्वर्ड की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि आर्थिक वैश्विक आउटपुट को सबसे ज्यादा नुकसान मानसिक बीमारियों के कारण हो रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक मानसिक बीमारियों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 16.1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा. बच्चों पर केंद्रित ज्यादातर मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों सिर्फ 18 साल तक के बच्चों को देखती है, लेकिन 18 से लेकर 25 साल के बीच के युवाओं को देखभाल नहीं मिल पाती. ऐसे में सबसे संवेदनशील समय के दौरान ही युवा अकेले रह जाते हैं. वर्तमान में उपस्थित मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उन अनुभवों पर ध्यान केंद्रित नहीं करती जिसका युवा रोज सामना करते हैं. इसमें एजुकेशन व्यवस्था,वेलफेयर, हाउसिंग व अन्य स्पोर्ट शामिल हैं.
यूथ मेंटल हेल्थ अभियान से जुड़ना जरूरी- युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए यूथ मेंटल हेल्थ अभियान से जुड़ना महत्वपूर्ण है. यह अभियान युवाओं, उनके परिवार, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों व अन्य लोगों के बीच 25 वर्ष से चलाया जा रहा है. यह अभियान पारंपरिक नियमों की स्थान मानसिक बीमारियों की आरंभ के संकेतों को देखता है. 12 से 25 वर्ष की आयु के लोगों को इसमें शामिल किया जाता है.
इस अभियान के तहत युवाओं में दिखने वाले लक्षणों व उससे पड़ने वाले प्रभावों को आकलन किया जाता है. यह अभियान सिर्फ कुछ उच्च आय वाले राष्ट्रों में उपस्थित है. 2019 में फोरम ने ओरिजेन नामक ऑस्ट्रेलिया के एक रिसर्च केन्द्र के साथ गठजोड़ कर एक यूथ मेंटल हेल्थ वैश्विक फ्रेमवर्क विकसित करने की कवायद की है. 60 से ज्यादा राष्ट्रों में इस फ्रेमवर्क को 27 मई को लॉन्च किया गया. इसके तहत समाज युवाओं से जुड़कर मानसिक बीमारियों के इस कलंक को धोने का कार्य करेगा.