उत्तरी हिंदुस्तान में तापमान बहुत चढ़ रहा है, ऐसे में हाइड्रेटिड रहना बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए लोग शिंकजी, ठंडाई का सहारा लेते हैं. ऊर्जा का क्षमता हाउस बोला जाने वाला सत्तू इनमें से ही एक है. इसे 'गरीबों का प्रोटीन' भी बोला जाता है. चने की दाल को रेत में भूनकर इसको पीस सत्तू बनाया जाता है.
सत्तू में भरपूर मात्रा में आयरन, सोडियम, फाइबर, प्रोटीन व मैग्नीशियम होता है. सत्तू को पानी में मिक्स कर इसमें चुटकी भर नमक व नीबू का रस मिलाकर पीने से शरीर के अधिकांश टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं. पेट से जुड़ी समस्याओं में यह बहुत ज्यादा राहत दिलाता हैं.
सत्तू शरीर को ठंडा रखता है. इसके अतिरिक्त इसे पीने से आपका शरीर सारे दिन हाइड्रेटिड रहता है. एक गिलास सत्तू का शर्बत रोज पीने से आपका शरीर ठंडा तो रहेगा ही साथ ही आपकी पाचन शक्ति भी ठीक रहेगी.
सत्तू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. यही वजह है कि जिन लोगों को डायबिटीज है, उन लोगों के लिए सत्तू का प्रयोग बेहतर है. यही नहीं सत्तू आपका ब्लड प्रेशर को नियंत्रित भी करता है. इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जिसकी वजह से हाई कोलेस्ट्रोल वाले लोगों के लिए यह लाभकारी है. सत्तू का सेवन गले के रोग, उल्टी, आंखों के रोग कई अन्य रोगों में लाभकारी होता है.
यह मांसपेशियां मजबूत करने में भी मदद करता है. सत्तू को अगर खाली पेट लिया जाए तो यह ज्यादा लाभकारी होता है. विशेषज्ञों का बोलना है कि सत्तू गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस से पीड़ित आदमी के लिए बहुत ज्यादा अच्छा होता है. आधुनिक दिनचर्या में तो इस बीमारी से लगभग 90 फीसदी लोग पीड़ित हैं.