Mahabharat Katha: महाभारत का युद्ध बहुत विनाशकारी था. महाभारत के युद्ध में कौरवों की बुरी तरह से पराजय हुई थी. विशाल सेना और भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य जैसे महाराथी होने के बाद भी कौरवों को हार का मुंह देखना पड़ा था क्योंकि कोरवों अर्धम के मार्ग पर चल रहे थे. महाभारत का युद्ध दुर्योधन की अति महत्वाकांक्षाओं और राजा धृ़तराष्ट्र के पुत्र मोह का परिणाम था.
दुर्योधन बचपन से ही भीम से नफरत करता था दुर्योधन धृतराष्ट्र और गांधारी का सबसे बड़ा पुत्र था. पांडवों में उसे सबसे अधिक नफरत भीम से थी. क्योंकि दोनों ही मलयुद्ध के माहिर थे. बचपन से ही भीम दुर्योधन को इस खेल में चुनौती देते आए थे. दुर्योधन बचपन से ही भीम से बेर मानता था. दुर्योधन आरंभ से ही भीम की हत्या का षडयंत्र रचता रहता था. वह हर पल यही सोचा करता था कि किसी तरह से वह भीम को खत्म कर दे इसके बाद युधिष्ठिर, अर्जुन और सभी भाइयों को बंदी बनाकर संपूर्ण राज्य पर राज करेगा. शकुनि दुर्योधन का मामा था. वह भी दुर्योधन की इस सोच को गति प्रदान करता था.
कालकूट विष देकर मारने की कोशिश इसी के चलते दुर्योधन ने एक बार भीम को जहर देकर मारने की योजना बनाई. इसके लिए दुर्योधन ने जल विहार की योजना बनाकर युधिष्टिर को अपने सभी भाइयों के साथ आने का निमत्रंण दिया. जिसे युधिष्टिर ने स्वीकार कर लिया. योजना विफल न हो इसके लिए दुर्योधन ने गंगा नदी के किनारे विशेष इंतजाम किया. इस स्थान पर उसने उदयनक्रीडन नाम का स्थल विकसित किया. जिसमें सभी के विश्राम और भोजन आदि की विशेष व्यस्था की गई. सभी लोग जब एकत्र हो गए तो भोजन की व्यवस्था की गई. दुर्योधन जनता था कि भीम को भोजन करना बहुत प्रिय था, इसलिए उसने भीम के लिए विशेष भोजन बनवाए. दुर्योधन ने भीम के भोजन में मोका पाकर जहर मिलवा दिया. यह कोई साधारण विष नहीं था बल्कि कालकूट विष था.
भीम को रस्सियों में बांधकर नदी में ढकेल दिया इस जहर के बारे में कहा जाता है कि इस जहर से व्यक्ति तुरंत नहीं मरता है बल्कि उसकी मौत धीरे- धीरे होती है. यह एक बेहद खरनाक विष था. दुर्योधन की यह योजना सफल हो गई. भोजन रास्ते जहर भीम में शरीर में प्रवेश कर गया. इसके बाद दुर्योधन ने योजना के अनुसार दूसरी चाल चली. उसने सभी लोगों को नदी में जलक्रीड़ा करने के लिए बुलाया. भीम भी आ गए. जहर के असर के कारण भीम जल्दी थक जाते हैं आरै अपने विश्राम स्थल पर आकर सो जाते हैं. जहर का असर धीरे धीरे बढ़ने से भीम बेहोश हो जाते हैं. दुर्योधन को इसी समय का इंतजार था. दुर्योधन बेहोशी की हालत में भीम को रस्सियों से बांधकर गंगा नदी में धकेल देता है.
भीम कैसे पहुंचे नागलोक भीम अचेत अवस्था में ही नागलोक में पहुंच जाते हैं. यहां खतरनाक और जरीले सर्प भीम को डसने लगते हैं. सर्पों के डसने के कारण भीम के शरीर में फैल चुका जहर कम होने लगता है. सपों के डसने से जहर का असर कम होते ही भीम को होश आ जाता है. सर्प डर जाते हैं और भाग कर अपने राजा वासुकि को पूरी बात बताते हैं.
नागराज वासुकि हुए प्रसन्न नागराज वासुकि भीम के पास आते हैं. वासुकि के साथ आर्यक नाम का सर्प भी होता है जो भीम को पहचान लेता है. दरअसल आर्यक भीम के नाना का नाना. यह जानकार वासुकि आर्यक से पूछते हैं कि भीम क्या उपहार देकर विदा किया जाए. इस पर आर्यक कहते हैं कि नागराज ये धन और रत्न लेकर क्या करेंगे. अगर आज्ञा दें तो इनके शरीर में शेष रेह गया जहर पीने दें ऐसा करने से भीम को हजारों हाथियों का बल प्राप्त होगा. नागराज वासुकि आर्यक को जहर पीने को कहते हैं, आर्यक एक ही घूंट में भीम के शरीर का पूरा जहर पी लेते हैं. वासुकि कहते हैं अभी भीम को होश में आने समय लगेगा. इन्ही सोने दो.
कुंती को हुआ दुर्योधन पर शक दूसरी तरफ युधिष्टिर और अन्य पांडव भाई जल विहार का कार्यक्रम संपंन कर वापिस हस्तिनापुर चले जाते हैं वे सोचते हैं कि भीम पहले ही हस्तिनापुर पहुंच गए होंगे. लेकिन जब वे हस्तिनापुर पहुंचते हैं और भीम को नहीं पाते हैं तो चारों पांडव और कुंती को शंका सताने लगाती है. कुंती को दुर्योधन पर शक होता है. लेकिन विुदर समझाते हैं.
भीम ऐसे पहुंचे हस्तिनापुर आठ दिन बात भीम को होश आ जाता है. भीम को नागराज और आर्यक पूरी बात बताते हैं और ये भी जानकारी देते हैं कि अब उनमें हजारों हाथियों की जितना बल आ चुका है. इसके बाद भीम वहां से विदा लेते हैं. हस्तिनापुर पहुंचकर भीम पूरी घटना और दुर्योधन के कृत्य के बारे में सभी को बताते हैं.इसके बाद युधिष्टिर भीम से कहते हैं कि ये बात अब किसी को मत बताना और अब से सभी भाई एक दूसरे की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे.
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