LatestNews1: कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में पिछले दो महिनों से ज्यादा समय से लॉकडाउन लगा हुआ है और उसके बाद भी स्थिति काबू से बाहर बनी हुई है। ऐसे में देशवासियों को काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।
कोरोना के कारण लॉकडाउन के इस समय में वर्क फ्रॉम होम का क्रेज काफी बढ गया है इसी बीच एक नई समस्या ने जन्म लिया है और यह सबसे ज्यादा नुकसान वर्क फ्रॉम होम कर रहे लोगों को पहुंचा रही है इस समस्या का नाम 'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' है। लगातार कम्प्यूटर या लैपटॉप पर आंखें गडाए बैठे लोगों में 'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' की समस्याओं काफी बढ़ रही है।
एम्स के प्रोफेसर डॉक्टर तुषार अग्रवाल ने वर्क फ्रॉम होम के दौरान 'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' को लेकर सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने बताया यदि कोई व्यक्ति या बच्चा बहुत देर तक लगातार स्क्रीन को देखता रहता है तो उसकी आंखों पर बुरा असर पड़ने लगता है.
डॉ. अग्रवाल ने कहा, 'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के शिकार लोगों की आखों में दर्द, सिरदर्द या आंख में पानी का सूख जाने जैसे लक्षण दिखते हैं. आपकी आंखें सही रहें इसके लिए कुछ चीजों का बारीकी से ख्यार रखना जरूरी है.'
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जितनी छोटी स्क्रीन आप देखेंगे दर्द उतना ज्यादा बढ़ेगा. इसलिए अपने ऑनलाइन एक्टिविटीज़ को बड़ी स्क्रीन पर एक्सेस करें. इसके अलावा, स्क्रीन से आंखों की निश्चित दूरी का भी ख्याल रखें. दोनों के बीच तकरीबन डेढ़ फीट का फासला होना जरूरी है. ज्यादा पास से देखने पर दर्द भी ज्यादा होगा.
उन्होंने बताया कि अक्सर लोग स्क्रीन की तरफ देखते वक्त पलकें झपकाना भूल जाते हैं. कई मिनटों तक पलकें झपकाए बिना स्क्रीन देखने से आखों की टियर फिल्म (आंसुओं की लेयर) सूख जाती है और उसकी क्वालिटी भी खराब होने लगती है. इससे बचने के लिए 20-20-20 का एक खास फॉर्मूला अपनाने से आपकी दिक्कतें कम हो सकती हैं.
यानी काम के बीच हर 20 मिनट बाद उसी जगह पर बैठकर भी आप एक ब्रेक ले सकते हैं. इस दौरान आपको 20 फीट की दूरी पर सिर्फ 20 सेकेंड के लिए किसी चीज को देखना होगा. इससे आंखों पर लगातार पड़ने वाले दबाव में कमी आती है. दूसरा, बच्चे या घर के किसी अन्य सदस्य का स्क्रीन टाइम घटाने से परेशानी कम हो सकती है.