कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच हिंदुस्तान में ज्यादा टेस्टिंग की ओर ध्यान दिया जा रहा है. हिंदुस्तान में अब तक 1.5 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन देश में अब रिकवरी रेट भी बढ़ रहा है.
अब रैपिड टेस्टिंग पर ज्यादा जोर दिए जाने पर विचार हो रहा है. क्योंकि जितना ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट होगा, संक्रमण बढ़ने का खतरा भी कम होगा. रेड जोन में अब भी संक्रमण के मुद्दे बढ़ते ही जा रहे हैं, इसलिए प्रदेश सरकारों को लॉकडाउन भी बढ़ाना पड़ रहा है. हिंदुस्तान में टेस्टिंग की गति कम होने के कारण भी संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है व अब सरकार ने पूल टेस्टिंग करने का फैसला लिया है. जानते हैं क्या है पूल टेस्टिंगपूल टेस्टिंग कैसी होती है www.myupchar.com के अनुसार, जितने भी कन्टेनमेंट एरिया है, वहां पूल टेस्टिंग व रैपिड टेस्टिंग के माध्यम से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का पता लगाया जा रहा है. इसके लिए हाल ही में भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पूल टेस्टिंग के लिए अनुमति दी है. आईसीएमआर का बोलना है कि जिस प्रकार कोरोना के लगातार मुद्दे बढ़ रहे हैं तो ऐसी स्थिति में कोरोना की टेस्टिंग को बढ़ाया जाना महत्वपूर्ण है. इससे ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग होने की वजह से पॉजिटिव रिपोर्ट आने की संभावना भी कम हो जाएगी.www.myupchar.com के अनुसार, पूल टेस्टिंग में एक से ज्यादा सैंपल लिए जाते हैं, इन्हें एक साथ लेकर टेस्ट करके कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है. पूल टेस्टिंग का प्रयोग कम संक्रमण वाले इलाकों में होता है. पूल टेस्टिंग का मकसद है ज्यादा लोगों की जाँच करना ताकि यदि कोई संक्रमित रह गए हो तो उनका भी पता लग जाए. जहां संक्रमण ज्यादा फैले हैं, वहां अलग तरह के टेस्ट किए जाते हैं.आईसीएमआर के गाइडलाइन्स के मुताबिक पूल टेस्टिंग में अधिकतम पांच लोगों की एक साथ टेस्टिंग की जा सकती है. कई प्रयोगशाला तीन सैंपल के भी एक साथ टेस्टिंग कर रही हैं. पूल टेस्टिंग में लोगों के गले या नाक से स्वैब (लार) का सैंपल लिया जाता है. फिर इन सैंपल्स को एकत्र करके इनकी एक साथ टेस्टिंग की जाती है.टेस्टिंग किट की बचत पूल टेस्टिंग में यदि टेस्टिंग किट बचती हैं तो इससे ज्यादा जाँच भी हो सकती है. यदि तीन लोगों का पूल टेस्ट किया जाता है व उनकी रिपोर्ट नकारात्मक आती है तो इसी में से दो व लोगों का पूल टेस्ट किया जा सकता है. इसके लिए अलग से किट की आवश्यकता नहीं होगी. पूल टेस्ट से टेस्टिंग दर भी बढ़ती है.पूल टेस्टिंग में समय की बचत पूल टेस्टिंग में लगने वाले समय की बात करें तो एक सैंपल के टेस्ट में बहुत ज्यादा समय लग जाता है, वहीं पूल टेस्टिंग की एक ही किट में एक साथ तीन से पांच लोगों की जाँच होने से समय की बहुत ज्यादा बचत होती है. डॉक्टरों के अनुसार पूल टेस्टिंग से संसाधनों की बचत होती है. पूल टेस्टिंग किट से लगभग उन सभी जगहों पर कोरोना का टेस्ट किया जा सकता है, जहां संदिग्ध लोग पाए गए हों.