आपने कई अघोरी साधुओं को तो देखा होगा। इन लोगों की दुनिया रहस्यों से भरी होती है और आज हम ऐसे ही कुछ रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। इनकी वेशभूषा अन्य लोगों के मुकाबले बेहद अलग होती है। लेकिन आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर ये शमसान में ही साधना क्यों करते हैं? आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।
अघोर का अर्थ है अ+घोर यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो, जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। जब इनकी साधना पूरी हो जाती है तो उसके बाद ये लोग हिमालय में चले जाते हैं। जिन चीजों से हम घृणा करते हैं उन्हें ये लोग अपनाते हैं। इसलिए जहाँ एक ओर समाज के लोग मुर्दें, कफन और श्मशान आदि से दूर ही रहते हैं, लेकिन अघोरी साधु इन्हें ही अपनाता है।
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अघोर विद्या सबसे कठिन लेकिन शीघ्र फलित होने वाली विद्या है। अघोरी वैराग्य प्राप्त करने के लिए श्मशान में साधना करते हैं। श्मसान में साधना करने से इनकी साधना में कोई विघ्न भी पैदा नहीं करता है। अघोर पंथ का ऐसा मानना है कि श्मशान में भगवान शिव का वास होता है, इसलिए भी ये शमसान में प्रार्थना करते हैं।
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अघोरियों से जुड़े ये रहस्य भी आप जान लें
- मान्यता है कि अघोरियों के पास कई सिद्धियां होती हैं। अघोरी साधु कभी किसी से कुछ मांगते नहीं हैं।
- अघोरी साधु को जो भी भोजन मिलता है, वह खा लते हैं। अघोरी साधु मृत शरीर को भी भोजन के रुप में स्वीकार करते हैं।
- जिन लोगों को दुनिया स्वीकार नहीं करती उन्हें ये स्वीकार करते हैं क्योकिं ये किसी में कोई भेदभाव नहीं करते हैं।