Coronavirus: कोरोना वायरस का खतरा पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है(Coronavirus Outbreak)। इसकी चपेट में आने वालों की संख्या लगातार तेज रफ्तार से बढ़ते ही जा रहे हैं(Coronavirus Case)। हर रोज चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। वहीं डॉक्टर, साइंटिस्ट निपटने के लिए रात दिन मेहनत करने में लगे हुए हैं। कई देश कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर तरह तरह की रिसर्च (Research) कर रहे हैं। इसी बीच ऑस्ट्रेलिया के साइंटिस्ट फ्लू की वैक्सीन(Vaccine) से कोरोना को हराने की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं इंसानों (Humans) पर इसका ट्रायल (Coronavirus Trial) शुरू हो चुका है।
यह किसी कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल है
खबरों की मानें तो पूरे दक्षिणी गोलार्ध में यह किसी कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल है। इसके साथ ही इससे यह समझने की कोशिश की जा रही है कि इस खतरनाक वायरस पर इसका असर कितना होगा।
यह वैक्सीन इम्यून सिस्टम के सेल्स पर प्रेशर डालेगी
रिसर्चर्स के अनुसार यह वैक्सीन इम्यून सिस्टम के सेल्स पर प्रेशर डालेगी, जिससे ये वायरस लड़े। इंसानों पर जो ट्रायल हो रहा है उसमें खास बात यह है कि यह पूरे वायरस को टार्गेट करने की बजाय कोरोना के स्पाइक प्रोटीन पर अटैक करेगी। यही हिस्सा इंफेक्शन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है।
वैक्सीन की वजह से कोरोना का प्रोटीन छोटे छोटे हिस्सों में टूटेगा
वहीं रिसर्चर्स ने बताया कि वैक्सीन की वजह से कोरोना का प्रोटीन छोटे छोटे हिस्सों में टूटेगा, जो नैनो पार्टिकल्स कहलाए जाते हैं। वहीं शरीर की इम्यून कोशिकाएं इन कणों को छोटा वायरस समझकर सक्रिय होंगी और पकड़ेंगी।
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यह शरीर में खतरा देखते ही इम्यून कोशिकाओं को सिग्नल देंगे
आपको बता दें कि वैक्सीन में मेट्रिक्स-एम नाम के नैनो पार्टिकल्स रहेंगे यह शरीर में खतरा देखते ही इम्यून कोशिकाओं को सिग्नल देंगे। वहीं यह सेल्स को बार बार अलर्ट करेंगे जिससे यह प्रोटीन के टुकड़ों का खात्मा कर सकें।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस वैक्सीन का वायरस पर ट्रायल किया जा रहा है, वह इंफ्लूएंजा वायरस पर आधारित है, जिसे नैनोफ्लू कहते हैं।