गर्भाशय में रसौली या फाइब्रॉयड्स एंडोमेट्रिओसिस एडेनोमायोसिस गर्भाशय सर्विक्स का कैंसर हार्मोन्स का असंतुलन मिसकैरेज ब्लीडिंग संबंधी कोई बीमारी
गर्भाशय में डाला जाने वाला उपकरण आईयूडी भी पीरियड्स में ब्लीडिंग को कम कर सकता है. हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए डॉक्टर हार्मोनल दवाइयां देते हैं. हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियों से भी गर्भाशय में बनने वाली खून की परत को रोका जा सकता है. गर्भनिरोधक दवाइयों से पीरियड्स में ब्लीडिंग 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है, जिससे खून के थक्के निकलने की आशंका भी कम हो जाती है. इससे गर्भाशय में बनने वाली रसौली का विकास भी धीमा हो जाता है. जो महिलाएं हार्मोनल दवाइयां नहीं लेना चाहतीं वे ट्रानेक्सामिक एसिड नामक सॉल्ट की दवा ले सकती हैं. इससे भी खून के थक्के निकलना कम हो जाता है.
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं. आप चाहें तो पीरियड्स के ज्यादा ब्लीडिंग वाले दिनों में नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा ले सकती हैं ताकि खून ज्यादा न निकले. एस्पिरिन बिल्कुल न लें, क्योंकि इससे ब्लीडिंग और बढ़ सकती है. अगर आपको ज्यादा बड़े-बड़े खून के थक्के निकल रहे हैं तो आपको बार-बार पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़ सकती है. लिहाजा स्पेयर सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन हमेशा अपने पास रखें. पीरियड्स के दिनों में ज्यादा खून के थक्के निकलने की वजह से शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. इसलिए पौष्टिक आहार लें, जिसमें आयरन हो जैसे- टोफू, मीट और हरी सब्जियां. रात के समय आप चाहें तो वॉटरप्रूफ सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करें या फिर बिस्तर पर तौलिया बिछाकर सोएं, ताकि चादर पर दाग न लगे. नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जारी रखें.