हिंदुस्तान वैश्विक संक्रमण सूची में 10वें जगह पर आ गया है व यह कोरोना वायरस के प्रारंभिक हॉटस्पॉट रहे ईरान को पछाड़ रहा है. हिंदुस्तान के शीर्ष चिकित्सा निकाय ने बोला है कि कोविड-19 वैक्सीन के लिए कम से कम 6 महीने में मानव परीक्षण प्रारम्भ हो सकते हैं.
रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक व भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के प्रमुख डाक्टर रजनी कांत ने आईएएनएस से कहा, "पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) लैब में वायरस का स्ट्रेन पृथक किया गया है, अब इसका वैक्सीन बनाने में उपयोग किया जाएगा. इस स्ट्रेन को सफलतापूर्वक हिंदुस्तान बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) में स्थानांतरित कर दिया गया है. उम्मीद है कि कम से कम छह महीनों में वैक्सीन के मानव परीक्षण प्रारम्भ हो जाएंगे."
भारत के रूप में कोविड-19 मामलों की संख्या 1.4 लाख पहुंच गई है लेकिन कांत का बोलना है कि हमें संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए. जबकि पिछले हफ्ते में, हर दिन 5,000 कोविड -19 मुद्दे सामने आए. कांत ने बोला कि हमें संख्या की बजाय निर्बल समूहों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.
कांत ने आगे कहा, "हमें कोविड-19 मामलों के बढ़ने से नहीं डरना चाहिए. बुजुर्गों व ऐसे लोग जो पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हैं, उन लोगों की सुरक्षा की जरूरत है. यह अत्यधिक निर्बल समूह है, व हमें इस समूह में मृत्युदर को कम रखने के लिए पर्याप्त संसाधन लगाने व रणनीतियों को विकसित करने की महत्वपूर्ण है."
शुरुआत में यह माना गया था कि देश को हजारों वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी, लेकिन पिछले हफ्ते, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बोला कि कोविड-19 के केवल 0.45 फीसदी मामलों में वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है.
कांत ने जोर दिया कि फोकस पांच प्रतिशत से 10 प्रतिशत गंभीर मरीजों पर होना चाहिए. उन्होंने कहा, "हम प्रतिदिन एक लाख से अधिक परीक्षण कर रहे हैं व हमारे यहां कोविड मामलों की मृत्युदर पहले से ही संसार में सबसे कम है. लिहाजा, वैक्सीन के अभाव में, लोगों को सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए, जो बहुत अच्छा है."
रिकवरी दर के महत्व पर, कांत ने बोला कि कोविड-19 रोगियों की रिकवरी दर 41 फीसदी है, जो कि इस खतरनाक संक्रमण के विरूद्ध हिंदुस्तान की लड़ाई में एक अहम वस्तु है.
मुंबई, दिल्ली व अहमदाबाद में बड़े पैमाने पर सामने आ रहे मामलों को लेकर कांत ने बोला कि इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, जो वायरल संक्रमण फैलने के लिए ठीक वातावरण साबित होता है. उन्होंने ऐसे कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए हॉटस्पॉट्स में मजबूत क्लस्टर प्रबंधन रणनीतियों को विकसित करने पर जोर दिया व बोला कि इन क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही पूरी तरह बंद की जानी चाहिए. कांत ने आगे कहा, "वर्तमान में, बहुत लोग सरलता से घूम रहे हैं व सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं. लॉकडाउन का पहला चरण बहुत प्रभावी था, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं."