दुनिया में कोरोना वायरस का कहर थमता नजर नहीं आ रहा है. अब तक लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. बड़ी संख्या में लोग स्वस्थ होकर अपने घरों में लौट चुके हैं.
वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दोबारा कोरोना वायरस की चपेट में आ गए. दोबारा संक्रमित होने वाले लोगों पर एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है. इसके माध्यम से अनुसंधानकर्ताओं ने बोला है कि जो लोग दोबारा संक्रमित पाए गए हैं, महत्वपूर्ण नहीं कि वह संक्रमित हो ही व दूसरों में संक्रमण फैलाए. इसके पीछे का कारण यह है कि उनके शरीर में एंटीबॉडीज होते हैं जो उन्हें दोबारा कोरोना वायरस की चपेट में आने से रोकते हैं, लेकिन शरीर में डेड कोरोना वायरस होने के कारण रिजल्ट पॉजिटिव दिखाता है. यह स्टडी कोरियन सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन द्वारा की गई है. इसमें 285 कोरोना वायरस मरीजों पर अध्ययन किया गया. अध्ययन के मुताबिक, मरीजों का तेजी से स्वस्थ होना एक अच्छा इशारा है, क्योंकि जो लोग स्वस्थ हो रहे हैं उनसे दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं होता.इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वास्थ्य अधिकारियों ने इन 285 लोगों के सम्पर्क में आए 790 लोगों की जाँच की. इन लोगों में किसी तरह का इन्फेक्शन नहीं पाया गया. हालांकि, वैज्ञानिक बहुत साफ तौर पर यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि कुछ मरीज दोबारा पॉजिटिव क्यों पाए गए.अपने इसी अध्ययन के आधार पर दक्षिण कोरिया ने लॉकडाउन में कुछ राहत दी है. यहां अगले सप्ताह से स्कूल भी खुल जाएंगे. जिंदगी तेजी से सामान्य हो रही है व लोगों से बोला जा रहा है कि वह सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाने जैसे नियमों का पालन करें. साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर दें, ताकि कोरोना वायरस या इस तरह के दूसरे संक्रमण का प्रभाव कम से कम हो. वहीं छोटे बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखा जा रहा है. चिकित्सक यह भी मान रहे हैं कि कोरोना वायरस पलटवार कर सकता है, इसलिए किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा सकती.एम्स के चिकित्सक अजय मोहन के अनुसार, जब तक कोरोना वायरस का टीका नहीं मिल जाता, तब तक लोगों को उक्त सावधानियों के साथ ही जीना होगा. यदि किसी को सर्दी, जुखाम, बुखार है व सामान्य दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है तो बिना देरी चिकित्सक को दिखाएं.कोरोना वायरस व इम्युनिटी का संबंध डाक्टर आकांक्षा मिश्रा के अनुसार, किसी भी बीमारी को रोकने में इम्युनिटी अहम किरदार निभाती है. इम्युनिटी यानी बीमारी से लड़ने की ताकत. यह इम्युनिटी आवश्यकता के मुताबिक खुद को ढालने में सक्षम होती है. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इम्युनिटी को एंटीबॉडीज की दरकार होती है. यह एंटीबॉडीज बनने में 10 दिन का वक्त लगता है.
एक बार एंडीबॉडीज बन जाए तो कोरोना वायरस कुछ नहीं कर सकता. जब तक ये एंटीबॉडीज हैं, संक्रमण दूर रहेगा. हालांकि, इनके समाप्त होने के बाद दोबारा हमला कर सकता है. बुरी बात यह है कि ये एंटीबॉडीज एक समय के बाद समाप्त हो जाती हैं. यानी खतरा फिर खड़ा हो जाता है. इसलिए लोगों को इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बोला जाता है.