कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रहे लोगों को झटका लगा है. वैक्सीन तैयार कर रही ऑक्सफोर्ड यूनिवार्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट हेड एड्रियन हिल ने बोला है कि ट्रायल में इसके पास होने की दर 50 प्रतिशत ही है. हाल ही में जेनर इंस्टीट्यूट ने जानी मानी बायोफार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ वैक्सीन तैयार करने के लिए हाथ मिलाया है. अगर ट्रायल पास रहता है तो दोनों मिलकर वैक्सीन लोगों तक पहुंचाएंगे.सफल नहीं रहा
अगले ट्रायल में 1 हजार लोग शामिल होंगे वैक्सीन केप्रोजेक्ट हेड एड्रियन हिल के मुताबिक, जल्द ही इंसानों पर शुरु होने वाले ट्रायल में 1 हजार लोगों को शामिल किया जाएगा लेकिन होने कि सम्भावना है इसका कोई परिणाम न मिले. यह ऐसी रेस है जहां वायरस पकड़ नहीं आ रहाऔर समय तेजी से भाग रहा है. दूसरे ट्रा्यल में 10,260 बच्चे व बड़े शामिल किए जाएंगे शोधकर्ता के मुताबिक, 1000 इंसानों पर पहले ट्रायल के बाद दूसरा ट्रायल प्रारम्भ होगा. यह तीन चरणों में पूरा होगा व इसमें 10,260 बच्चे व बड़े शामिल किए जाएंगे. वैक्सीन पर उनकी इम्युनिटी का क्या प्रभाव होता है व भिन्न-भिन्न आयु के लोगों पर होने वाले असर को भी समझा जा सकेगा. तीसरा चरण निर्णायक साबित होगा शोधकर्ताओं के मुताबिक, ट्रायल के दूसरे व तीसरे चरण को मिलाया जाएगा. तीसरे चरण एक बड़ी तादात में इंसानों पर वैक्सीन का इस्तेमाल होगा. ट्रायल के दौरान यह देखा जाएगा कि वैक्सीन 18 वर्ष से अधिक लोगों पर कैसे कार्य कर रही है. यह लोगों को संक्रमित होने से कैसे रोकती है व जो पहले से संक्रमित हैं उन पर क्या प्रभाव होता है. असफल रहा थाबंदरों पर हुआट्रायल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोविड-19 की वैक्सीन ChAdOx1 की जा रही है. हाल ही में बंदरों पर हुआ इस वैक्सीन का ट्रायल पास नहीं रहा था. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के डाक्टर विलयम हेसलटाइन के मुताबिक, जिन छह रीसस बंदरों पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया उनकी नाक में उतनी ही मात्रा में वायरस पाया गया जितना कि तीन अन्य नॉन वैक्सीनेटेड (जिन्हें टीका नहीं लगाया गया था) बंदरों की नाक में था.
8 भिन्न-भिन्न वैक्सिन पर कार्य चल रहा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों स्पष्ट करते हुएकहा थाकि कोरोनो के लिए 8 वैक्सिन पर कार्य चल रहा है. संगठन केप्रमुख डाक्टर टेड्रॉस गेब्रयेससकहा है कि दो महीने पहले तक ऐसा सोचा जा रहा था वैक्सीन बनाने में 1 वर्ष से 18 महीने लगेंगे. हालांकि, अब इस कार्य में तेजी लाया जा रहा है. एकहफ्ते पहले संसार के 40 राष्ट्रों के नेताओं ने इसके लिए 8 बिलियन डॉलर(करीब 48 हजार करोड़ रु। ) की मदद की है, लेकिन यह इस कार्य के लिए कम पड़ेगा.