इंसान से इंसान में फैलने वाले कोरोना वायरस से आज पूरी संसार दहशत में है. कोरोना वायरस की वजह से कई राष्ट्रों की सरकारें इससे बचने के लिए कई तरह के तरीका खोज रही है, क्योंकि इस वायरस की अभी तक कोई भी वैक्सीन नहीं बन पाई है.
इस स्थिति में कोरोना वायरस से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यही है कि कोई भी अपने घरों से बाहर ना निकले, क्योंकि यदि कोई बाहर निकला तो संभावना रहेगी कि वह किसी संक्रमित आदमी के सम्पर्क में आने पर कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ सकता है.कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए दो शब्द अहम है, क्वॉरंटाइन व आइसोलेशन. कई लोग क्वॉरंटाइन का मतलब आइसोलेशन भी समझ रहे हैं, लेकिन दोनों में फर्क है. मेडिकल की भाषा में क्वारंटीन व आइसोलेशन में बहुत ज्यादा अंतर होता है आइए दोनों का मतलब जानते हैं -ऐसे आया ‘क्वॉरंटाइन’ शब्द यह शब्द इटालियन व फ्रेंच दोनों भाषा से मिलकर बना है. आरंभ में यह शब्द फ्रेंच भाषा से लिया गया था. 'क्वारंटाइन' शब्द की उत्पत्ति भी यही से हुई है, जिसका अर्थ होता है कुछ दिनों के लिए दूसरों से अलग कर देना. एम्स के डाक्टर उमर अफरोज के अनुसार, जिसमें संक्रमण होने की संभावना हो, उसे क्वारंटाइन कर दिया जाता है. हालांकि, इसके कई नुकसान भी हैं. इस स्थिति में रखे जाने पर मरीज गुस्सैल होने कि सम्भावना है. वह डिप्रेशन में जा सकता है, इसलिए डॉक्टरों को हर वक्त नजर रखनी होती है.आइसलैंड का शब्द है ‘आइसोलेशन’ इस शब्द का निर्माण आइसलैंड शब्द से होता है, जिसका हिंदी में अर्थ है द्वीप. 1423 ई। में इटली के वेनिस में एक बड़ा अस्पताल बनाया गया था. इस अस्पताल में प्लेग के रोगियों का उपचार किया गया था, क्योंकि उस समय प्लेग इसी तरह फैला था. आइसोलेशन का अर्थ होता है अकेला. यदि कोई संक्रमित आदमी है, जिससे संक्रमण फैल सकता है तो उसे आइसोलेट कर दिया जाता है. प्लेग का संक्रमण भी कोरोनावायरस की ही तरह फैल रहा था. इसलिए तब भी लोगों को अलग रखने के लिए आइसोलेशन अस्पताल बनाया गया. यह अस्पताल आइसलैंड पर बना हुआ था इसीलिए यहीं से ‘आइसोलेशन’ शब्द की उत्पत्ति हुई.जानिए अंतर क्वॉरेंटाइन व ‘आइसोलेशन’ शब्द में इन दोनों ही शब्दों में बड़ा अंतर है ‘क्वॉरंटाइन’ शब्द मूल रूप से उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें संक्रमण से बचाना है ताकि उन्हें यह संक्रमण ना हो जाए, इसलिए उन्हें घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता है. ‘आइसोलेशन’ शब्द का प्रयोग उनके लिए किया जाता है, जो संक्रमित हो चुके हैं व जिन का उपचार चल रहा है या फिर उन्हें यह बीमारी होने की संभावना है. उन्हें अस्पताल में एक अलग रूम में रखा जाता है, ताकि उनसे किसी व को यह संक्रमण न फैले. संक्रमण फैलने की स्थिति में क्वारंटाइन करने से संक्रमण की चेन टूट जाती है व लोगों में फैलने की संभावना कम हो जाती है. दरअसल क्वारंटाइन करने से वायरस का कम्युनिटी ट्रांसफर नहीं हो पाता है.एम्स के डाक्टर उमर अफरोज के अनुसार, इन दशा में मरीज को सकारात्मक रुख बनाए रखना चाहिए. उसे फिजिक्ल एक्टिविटी करनी चाहिए, कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे खुशी मिले.