सभी के शरीर का तापमान उनकी उम्र, दिन के भिन्न-भिन्न समय व गतिविधियों के आधार पर भिन्न-भिन्न होने कि सम्भावना है, लेकिन बहुत अधिक या बहुत कम तापमान बुखार के लक्षण हो सकते हैं.
कोरोना वायरस से प्रभावित राष्ट्रों में कई परिवारों में माता-पिता अपने बच्चों का हर समय तापमान जाँच रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह चिंता सताए जा रही है कि कहीं उनके बच्चे इस संक्रमण की चपेट में तो नहीं आ गए. ऐसी स्थिति में कई लोग शरीर के सामान्य तापमान को लेकर स्पष्ट नहीं है व कई लोग बढ़े हुए तापमान को बुखार समझ लेते हैं.ये है बच्चों, शिशुओं व वयस्कों के लिए शरीर का सामान्य तापमान- डाक्टर आयुष पाण्डेय के अनुसार, शरीर के सामान्य तामपान का अर्थ होता है मानव शरीर में आमतौर पर पाया जाने वाला तापमान. एक शोध के अनुसार, वयस्कों में शरीर का मानक तापमान 37 डिग्री C (98.6 डिग्री F) है. आमतौर पर माना जाता है कि 36.1 डिग्री C (97 डिग्री F) से 37.2 डिग्री C (99 डिग्री F) शरीर के तापमान के लिए एक सामान्य सीमा है. इनके बीच यदि तापमान में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो तो यह सामान्य माना जाएगा. शिशुओं व बच्चों का तापमान अलग होता है यदि बच्चों के शरीर का तापमान 36.4 डिग्री C (97.5 डिग्री F) है तो यह सामान्य है लेकिन बच्चों के तापमान में भी उतार-चढ़ाव होने कि सम्भावना है. यह भी जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण है कि तापमान किस प्रकार से चेक किया जाए.बांह के नीचे डिजिटल थर्मामीटर- थर्मामीटर को बांह की बगल में रखकर तापमान ठीक ढंग से चेक कर सकते हैं. इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि थर्मामीटर शरीर की स्कीन पर ही रखा होना चाहिए कपड़े पर स्पर्श होने पर यह तापमान गलत बता सकता है व बगल में थर्मामीटर को थोड़ा दबाएं व एक मिनट के लिए थर्मामीटर को बगल में रखे. इसके अतिरिक्त डिजिटल थर्मामीटर का उपयोग कर रहे हैं तो बीप बजने का इंतजार जरूर करना चाहिए.मुंह में रखें डिजिटल थर्मामीटर- भोजन करने के 20 मिनट बाद मुंह से शरीर का ठीक तापमान का पता लगाया जा सकता है क्योंकि खाना खाने के कुछ देर तक शरीर का तापमान बढ़ा होने कि सम्भावना है. जीभ के नीचे थर्मामीटर की नोंक को बीप बजने तक रखें. इस बीच आराम से सांस लेते रहे व छोड़ते रहें. चार-पांच वर्ष से बड़े बच्चों का ही इस विधि से तापमान जांचें.कान का थर्मामीटर- इस प्रकार के थर्मामीटर का उपयोग छोटे बच्चों के लिए नहीं किया जाता है. इसका उपयोग करने के लिए वयस्क के कान को थोड़ा ऊपर व पीछे धीरे से खींचे. अब थर्मामीटर के टिप को कान के अंदर रखें. इसके बाद थर्मामीटर की बीप बजने तक कान में ही रखें, लेकिन इसका प्रयोग बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिए. इसमें इस बात का भी ध्यान रखें कि टिप को कान के ड्रम से टच नहीं होना चाहिए. वरना कान में चोट लग सकती है.स्ट्रिप-टाइप थर्मामीटर - इस विधि में केवल शरीर की स्कीन का तापमान ही पता चलता है. शरीर का पूर्ण तापमान पता नहीं लगाया जा सकता है. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मर्क्यूरी ग्लास थर्मामीटर का उपयोग बिल्कुल न करें, क्योंकि इसके टूटने पर पारे का जहर फैल सकता है. यह आजकल ज्यादा उपयोग में नहीं लाया जाता है.- डाक्टर आयुष पाण्डेय के अनुसार, शरीर का तापमान गिरने या बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. यदि बार-बार ऐसा हो रहा है व कारण समझ नहीं आ रहा है तो डॉक्टरों को दिखाना चाहिए.