देश में कोरोना संक्रमण के मुद्दे क्यों बढ़ रहे हैं, जिनमें लक्षण नहीं दिख रहे उनसे कैसे बचें व वैक्सीन पर चल रहे शोध की नयी जानकारी क्या हैऐसे कई सवालों के जवाब पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डाक्टर के श्रीनाथ रेड्डी ने आकाशवाणी को दिए. जानिए कोरोना से जुड़े सवाल व एक्सपर्ट के जवाब
#1) कोरोना से अच्छा हो चुके लोगों की एंटीबॉडी कितने दिनों तक रहती है? कोरोनावायरस एक नया वायरस है, कई शोध रोज हो रहे हैं व सामने आ रहे हैं. नया वायरस का प्रभाव कितना हो रहा है व एंटीबॉडी कितने दिनों तक रहेगी यह वर्ष के अंत तक पता चल सकेगा. ये वायरस सभी राष्ट्रों में उपस्थित है, इसलिए अभी कुछ नहीं बोला जा सकता.
#2) कोरोनावायरस की एंटीबॉडी व दूसरी वायरल बीमारियों की एंटीबॉडी शरीर में कितने दिनों तक रहती है?
दोनों में बहुत ज्यादा फर्क है. अगर स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन आरंभ में लगाते हैं तो वो एंटीबॉडी जिंदगीभर रहती है. फ्लू की एंटीबॉडी एक या दो वर्ष तक रहती है जबकि कॉमन कोल्ड या नजला भी वायरस से होता है. उसकी भी एंटीबॉडी दो-तीन महीने तक रहती है. एंटीबॉडी शरीर में बार-बार बनती रहती है.
#3) वैक्सीन को लेकर शोध हो रहे हैं उसमें ताजा जानकारी क्या है?
कई देश वैक्सीन की खोज में लगे हैं लेकिन कहां की वैक्सीन पास होगी, कितनी जरूरी होगी यह आने वाले समय में पता चलेगा. लेकिन कुछ राष्ट्रों ने बोला है कि सितंबर में शुरुआती ट्रायल समाप्त हो जाएंगे. फिर आगे के ट्रायल होंगे. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक अचछी वैक्सीन आने में 18 महीने लगेंगे. वैक्सीन के ट्रायल कई चरण में होते है व सारी संसार को उपलब्ध कराने में वक्त लग सकता है. लेकिन एक बात अच्छी है कि हिंदुस्तान में किसी भी तरह की वैक्सीन प्रोडक्शन की क्षमता बहुत है. वैक्सीन की खोज कहीं भी हो लेकिन उत्पादन के लिए संसार के कई देश हिंदुस्तान पर निर्भर रह सकते हैं.
#4) जो लोग घर में बैठकर तनाव ले रहे हैं, उन्हें आप क्या सलाह देंगे?
लोगों को समझने की आवश्यकता है कि कोई एक देश नहीं बल्कि वायरस से पूरी संसार लड़ रही है. आपके शहर में, समाज में, देश में, विदेश में, हर स्थान लॉकडाउन है व यह आपको बचाने के लिए हैं. अगर घर में हैं तो अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करें. प्रकृति खुद को बदल रही है उसका आनंद लें.
#5) क्वारैंटाइन व आइसोलेशन में क्या अंतर है?
जब हमे पता नहीं होता किसी को वायरस का संक्रमण है या नहीं, तब आदमी को निगरानी में रखा जाता है व उसकी जाँच की जाती है, इसे क्वारैंटाइन कहते हैं. आइसोलेशन में वायरस के संक्रमण का सबूत मिल चुका होता है व उसे बाकियों से अलग रखते हैं ताकि दूसरों तक संक्रमण न पहुंचे. कई बार लोगों में जब तक लक्षण नहीं दिखता तब तक होम क्वारैंटाइन के लिए भेज दिया जाता है. होम आइसोलेशन या क्वारैंटाइन के दौरान घर में किसी के भी संपर्क में आने से बचें.
#6) जिनमें लक्षण नहीं है, ऐसे लोगों से कैसे सुरक्षित रहें?
कई लोगों में संक्रमण होने के कई दिन बाद लक्षण आते हैं तब तक उनसे कई लोग संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए ऐसे लोगों से बचने के लिए सिर्फ एक ही तरीका है, लोग खुद की सुरक्षा करें. खतरा किस ओर से आ रहा है, इसकी जानकारी नहीं होती. कौन एसिम्प्टोमैटिक है व प्री-एसिम्प्टोमैटिक या कौन वायरस से संक्रमित है, किसी का पता नहीं चलता. इसलिए उचित दूरी बनाकर रखें व मास्क का इस्तेमाल करें.
#7)कोरोनावायरस के केस बढ़ रहे हैं, इसे कैसे देखते हैं?
मरीजों की संख्या टेस्टिंग पर आधारित है. पहले से अब टेस्ट बढ़े हैं इसलिए अब वो लोग सामने आ रहे हैं जिनमें बहुत कम लक्षण हैं. केस बढ़ रहे हैं लेकिन ये जल्द ही अच्छा होने वाले हैं. हमारे देश में मौत का आंकड़ा 2.6 प्रतिशत है जबकि अमेरिका जैसे देश कई गुना अधिक है. इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं. अभी भी यहां स्थिति कंट्रोल में है लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद बहुत सावधानी बरतनी होगी.