जितनी बार गर्भपात, उतना ही स्त्रियों में डायबिटीज का खतरा !

कई बार गर्भपात होने पर स्त्रियों में डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा हद तक बढ़ जाता है. यह दावा कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है. शोधकर्ताओं का बोलना है एक बार गर्भपात होने पर टाइप-2 डायबिटीज का होने का रिस्क 18 प्रतिशत तक रहता है. वहीं दो बार ऐसा होने पर खतरा 38 प्रतिशत व तीन बार गर्भपात होने पर तक 71 प्रतिशत तक डायबिटीज की संभावना रहती है. मोटापे का गर्भपात व टाइप-2 डायबिटीज से कनेक्शन शोधकर्ताओं ने रिसर्च में ऐसी स्त्रियों को शामिल किया जितना दो या तीन बार गर्भपात हो चुका था. ऐसी स्त्रियों का बार-बार ब्लड शुगर जांचा गया. शोध टीम के प्रमुख डाक्टर पिया एगरअप के मुताबिक, मोटापे का गर्भपात व टाइप-2 डायबिटीज से सम्बंध पाया गया है लेकिन सिर्फ यही एक कारण नहीं है.

24,700 स्त्रियों पर हुई रिसर्च शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च में डेनमार्क की ऐसी 24,700 स्त्रियों को शामिल किया गया जिनका जन्म 1957 से 1997 के बीच हुआ व 1977 से 2017 के बीच टाइप-2 डायबिटीज हुई. इसके अतिरिक्त रिसर्च में ऐसी 247,740 स्त्रियों की जाँच की गई जो डायबिटीज से नहीं जूझ रही थी.
स्वस्थ स्त्रियों से समानता के बाद जारी किए नतीजे डायबिटीज से जूझ रही स्त्रियों की जन्मतिथि व शैक्षणिक योग्यता की दूसरी स्वस्थ स्त्रियों से समानता देखी गई.डायबिटीज से जूझ रही स्त्रियों की जन्मतिथि व शैक्षणिक योग्यता की दूसरी स्वस्थ स्त्रियों से समानता देखी गई. शोधकर्ताओं का बोलना है रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि जितनी बार गर्भपात हुआ उतना ही डायबिटीज का खतरा बढ़ा.
फैमिली हिस्ट्री होने पर खतरा व भी ज्यादा डायबेटोलॉजिया जर्नल में प्रकाशित शोध में डाक्टर एगरअप का बोलना है कि गर्भपात के अतिरिक्त फैमिली सदस्य में बीमारी की हिस्ट्री होने पर रिस्क व भी बढ़ सकता है. गर्भपात होने से महिला की रोगों से लड़ने की क्षमता पर भी प्रभाव होता है जो भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है.

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