अल्जाइमर रोग एक तंत्रिका संबंधी रोग, जानिए इसके बारे में

अल्जाइमर रोग एक तंत्रिका संबंधी रोग है जिसमें आदमी आयु के साथ अपनी सोचने समझने की शक्ति व याददाश्त खोने लगता है. अल्जाइमर रोग एक बहुत आम रूप प्रकार डिमेंशिया है.

अल्जाइमर रोग अच्छा नहीं होने कि सम्भावना है, लेकिन इलाज अल्जाइमर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है. इसी कड़ी में आईआईटी गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं ने अल्जाइमर की वजह से थोड़े समय के लिए जाने वाली याददाश्त को रोकने या कम करने के लिए नए ढंग विकसित करने का दावा किया है.
अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके अनुसंधान में एक अलग उपाय मिला है, जो अल्जाइमर की बीमारी टाल सकता है. चार मेम्बर वाली टीम ने दिमाग में न्यूरोटॉक्सिक अणु को जमा होने से रोकने के उपायों का पता लगाने के लिए अल्जाइमर के न्यूरोकेमिकल सिद्धांत का अध्ययन किया.
न्यूरोटॉक्सिक अणु अल्जाइमर के कारण कम अवधि के लिए याददाश्त जाने से जुड़ा है. यह अध्ययन एसीएस केमिकल न्यूरोसाइंस, रॉयल सोसाइटी ऑफ कैमिस्ट्री की पत्रिका आरएससी एडवांसेज, बीबीए व न्यूरोपेपटाइड्स समेत प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुआ है.
संस्थान के जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर विपिन रामाकृष्णन ने बताया कि अल्जाइमर की बीमारी का उपचार अहम है, खासकर हिंदुस्तान के लिए, जहां चाइना व अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा अल्जाइमर के मरीज हैं. 40 लाख से ज्यादा लोगों को इस बीमारी की वजह से याददाश्त खोने का सामना करना पड़ता है. बीमारी का मौजूदा उपचार सिर्फ कुछ लक्षणों को धीमा करता है. अभी तक ऐसा चिकित्सीय दृष्टिकोण नहीं है जो अल्जाइमर के अंतर्निहित कारणों का उपचार कर सके.
उन्होंने बोला कि अल्जाइमर रोग के इलाज के लिए लगभग सौ संभावित दवाएं 1998 व 2011 के बीच विफल रही हैं जो समस्या की गंभीरता को दिखाती है. हमने दिमाग में न्यूरोटॉक्सिक अणुओं को रोकने के लिए निम्न-वॉलटेज इलेक्ट्रिक क्षेत्र व "ट्रोजन पेप्टाइड्स" के प्रयोग जैसे कुछ दिलचस्प उपायों पर कार्य किया है."
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर हर्षल नेमाडे के मुताबिक, टीम ने पाया कि निम्न-वोल्टेज व सुरक्षित इलेक्ट्रिकल क्षेत्र का प्रयोग जहरीले न्यूरोडीजेनेरेटिव अणु को बनने व जमा होने से रोक सकता है जो अल्जाइमर की बीमारी में अल्प अवधि के लिए याददाश्त जाने का कारण बनता है.

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