कोरोना वायरस के संक्रमण से अबतक दुनियाभर में 50 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं. व 3 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है. दुनियाभर के वैज्ञानिक कोविड-19 का उपचार तलाश कर रहे हैं,
लेकिन अभी किसी को सफलता नहीं मिली है. इसी बीच कोरोना को लेकर नए-नए शाेध सामने आ रहे हैं. काेविड-19 के संक्रमण काे लेकर हाल ही में किए गए एक शाेध में यह जानकारी सामने आई है कि धूम्रपान करने वालों को कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होने कि सम्भावना है. यह अध्ययन डेवलपमेंटल सेल नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
अमेरिका की कोल्ड स्प्रिंग हारबर लैब में कैंसर के आनुवंशिक विज्ञानी व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जैसन शेल्टजर ने कहा, 'हमारे नतीजों से यह पता चला है कि क्यों कोविड-19 की चपेट में आने वाले मरीज पर उपचार का बेहतर प्रभाव नहीं होता है.'
शेल्टजर ने बोला कि अध्ययन में पता चला कि सिगरेट पीने से फेफड़े से भारी मात्रा में प्रोटीन एसीई2 निकलता है, जिसके जरिए कोरोना वायरस मानव के शरीर में प्रवेश करता है. एसीई2 एक तरह का एंजाइम है, जो सिगरेट पीने से सांस की नली में भारी मात्रा में फैल जाता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक धूम्रपान छोड़ने से यह एंजाइम नहीं निकलेगा व इस तरह कोरोना वायरस से खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है. वैज्ञानिकों का यह भी बोलना है कि कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों को हल्का संक्रमण हुआ. इस वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित होने वालों को वैज्ञानिकों ने तीन श्रेणियों में रखा. पुरुष, बुजुर्ग व धूमपान करने वाले.
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस्तेमाल के लिए लैब में चूहों को में धुएं में रखा गया व फिर जो लोग नियमित रूप से सिगरेट पीते हैं उनका अध्ययन किया गया, तो एसीई2 के नतीजे दोनों में एक समान आए. शेल्टजर कहते हैं धूम्रपान करने वाले धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में 30-55 फीसद ज्यादा एसीई2 पैदा करते हैं.
हालांकि, शोध अध्ययन में इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है कि आयु या ***** का फेफड़े में एसीई2 के स्तर पर कोई असर पड़ता है. लेकिन जो लोग सिगरेट पीते हैं उनके फेफड़े में यह भारी मात्रा में पैदा होता है.