भारत में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन को और आगे बढ़ाया जा सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो ट्विटर पर बता भी दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉक डाउन को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया है कि लॉकडाउन को कितने दिनों के लिए बढ़ाया गया है.
लेकिन थोड़ी देर के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मीडिया को बताया कि दो सप्ताह तक लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा सकता है.
इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने अपने राज्यों में लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी. इससे पहले ओडिशा और पंजाब ने अपने यहां लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी थी. लेकिन लॉकडाउन के ग़रीबों और वंचितों पर हो रहे असर को लेकर गंभीर चिंताएं भी हैं. भारत के अलग-अलग राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ़्तार अलग-अलग है.
महाराष्ट्र और केरल जैसे कई राज्य दूसरे राज्यों की तुलना में ज़्यादा प्रभावित हैं. लॉकडाउन की वजह से करोड़ों प्रवासी मज़दूर बेरोज़गार हैं. जो सबसे ज़्यादा ग़रीब हैं वही सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं.
लॉकडाउन को हटाना भारत पर कैसे भारी पड़ सकता है?
भारत ने 25 मार्च को लॉकडाउन घोषित कर 2.9 ट्रिलियन डॉलर की अपनी अर्थव्यवस्था को बंद कर दिया था. सभी तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं और लोगो से घरों के भीतर रहने के लिए कहा गया है. हवाई, सड़क और रेलमार्ग से यातायात प्रतिबंधित है.पिछले कुछ दिनों में भारत ने कोरोना संक्रमण के टेस्ट की रफ़्तार बढ़ाई है और अब देश में कोरोना संक्रमण की साफ़ तस्वीर नज़र आने लगी है. वायरस अब घनी आबादी वाले इलाक़ों और नए क्षेत्रों में फैल रहा है. हर दिन नए इलाक़ों से संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं.
जिन वायरलॉजिस्टों से बीबीसी ने बात की है उनका कहना है कि भारत में अभी भी संक्रमण अपने शुरुआती चरणों में हैं. अभी देश में इतना पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं है कि ये पता लगाया जा सके कि वायरस के संक्रमण की रफ़्तार क्या है और कितने लोग अपने आप अब तक इससे ठीक हो चुके हैं और हर्ड इम्यूनिटी विकसित कर चुके हैं.