एंटीबॉडी ने कोविड-19 पर भी अपना प्रभाव दिखाया

कोरोना की काट खोज रहे वैज्ञानिकों ने 17 वर्ष पुराने एंटीबॉडी को खोज निकाला है, जो कोरोना वायरस की शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने के कोशिश को नाकाम कर सकती है. इस एंटीबॉडी के प्रयोग से वायरस की दवा या वैक्सीन तैयार की जा सकती है.

यह एंटीबॉडी सार्स वायरस के संक्रमण से स्वस्थ होकर निकले एक आदमी के खून के नमूने से ली गई थी. सार्स भी कोरोना समूह का वायरस है, इसीलिए इस एंटीबॉडी ने कोविड-19 पर भी अपना प्रभाव दिखाया है. एंटीबॉडी एस309 कोरोना में उन स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय कर देता है, जो कोशिकाओं को संक्रमित करने का कार्य करता है.
शोधकर्ताओं ने एस309 व सार्स की कुछ अन्य निर्बल एंटीबॉडी को मिलाकर कोरोना के मरीज को दी गई डोज ने वायरस पर काबू पाने में कामयाबी पाई. वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने लैब में हुए शोध में पाया कि एस309 उस स्पाइक प्रोटीन से चिपक जाता है व उसे निष्क्रिय करके ही छोड़ता है. कोरोना यानी सार्स कॉव-2 के उपचार का कोई शत-प्रतिशत अच्छा उपाय न मिलने के बीच इन दावों ने दवा कंपनियों व वैज्ञानिकों की उम्मीद बढ़ा दी हैं. इन शुरुआती नतीजों के बाद अमेरिका में एंटीबॉडी के मानव परीक्षण का अभियान तेज हो गया है.
वायरस को निष्क्रिय करने में तो एंटीबॉडी एस309 पास रही है, लेकिन हमें देखना होगा कि शरीर में प्रवेश केबाद इस एंटीबॉडी का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं है. इसके बाद एस309 का बड़े पैमाने पर प्रयोग होने कि सम्भावना है. डेविड वेसलर, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में बायोकेमिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर
और भी उत्साहजनक नतीजे- एंटीबॉडी सफल- सैन डियागो की सोरेंटो थेरेपेटिक्स ने दावा किया है कि उसकी एंटीबॉडी एसटीआई-1499 स्वस्थ कोशिकाओं में कोरोना को रोकने में पूरी तरह अच्छा साबित हुई है. कंपनी हर माह ऐसी दो लाख एंटीबॉडी खुराक बना सकती है. उसने अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के समक्ष लाइसेंस का आवेदन किया है.
माडर्ना का टीका शुरुआती परीक्षण में सफल- फार्मा कंपनी माडर्ना ने कोरोना के निर्बल वायरस से वैक्सीन एमआरएनए-1273 तैयार की है. आठ लोगों के शुरुआती परीक्षण में यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में पास रही.
-कोरोना समूह का ही वायरस था सार्स- सीवियर एक्यूट रेस्पॉयरेटरी सिंड्रोम (सार्स) भी कोरोना समूह का वायरस सार्स-कॉव-1 है, जिसने पहली बार साल 2002-03 में तबाही मचाई थी. लेकिन एक-दो साल के बाद वायरस दोबारा सक्रिय नहीं हुआ.
दोनों वायरस के लक्षण समान- -सार्स की तरह कोरोना भी श्वसन तंत्र पर हमला करता है. -दोनों में बुखार, खांसी, गला बंद होना, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण. -संक्रमण के सात से लेकर 14 दिन बाद उभरता है वायरस.

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