हाल ही में हुए एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि स्मार्टफोन, टैबलेट व कम्प्यूटर जैसी डिजिटल डिवाइस की स्क्रीन के लगातार सम्पर्क में आने से हमारी स्कीन पर झुर्रियां (स्किन एजिंग) जल्दी आ सकती हैं. इतना ही नहीं लगातार स्क्रीन पर देखने व इसकी सफेद-नीली लाइट से अनिद्रा, मूड स्विंग होना व आंखों की एलर्जी का कारण भी बन सकता है. इसका एक कारण यह है कि गैजेट्स व डिवाइस पर लगातार कार्य करने से हमारा बाहर निकलना कम हो गया है जिससे सूर्य के प्रकाश से हमारा एक्सपोजर कम हो गया है व रात में अपेक्षाकृत उच्च स्तर के कृत्रिम प्रकाश के सम्पर्क में रहने से हमारी स्कीन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. सारा दिन कंप्यूटर पर बैठना व रात में फोन पर सोशल मीडिया पर व्यस्त रहने के कारण हमारी पीढ़ी का स्क्रीन टाइम एक्सपोजऱ पिछली पीढिय़ों की तुलना में बहुत अधिक है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का बोलना है कि कम्प्यूटर, लैपटॉप व मोबाइल की डिजिटल स्क्रीन से 'ब्लू लाइट' उत्सर्जित होती है जिसकी सबसे छोटी तरंग दैध्र्य (शॉर्ट वेवलैंथ) 450x490 नैनोमीटर (एनएम) होती है जो बेहद उच्च मात्रा में ऊर्जा का एक छोटा अमाउंट है.
शोध में सामने आया कि हमारी स्कीन भी हमारी आयु बढऩे के साथ बूढ़ी होती है जो एक प्राकृतिक क्रमिक प्रक्रिया है. लेकिन आधुनिक गैजेट्स व डिवाइस से निकलने वाली इस नीली लाइट के लगातार सम्पर्क में आने से यह मुक्त कणों (फ्री रैडिकल्स) उत्पन्न करता है जो स्कीन को समय से पहले झुर्रीदार बनाने का कार्य करते हैं. क्योंकि इससे उच्च ऊर्जा निकलती है इसलिए यह स्कीन के टिश्यू में गहराई से प्रवेश कर सकता है व स्कीन को व नुकसान पहुंचा सकता है. इतना ही नहीं यह रात में अच्छी नींद के लिए उत्तरदायी सर्कैडियन रिदम व ऊतकों की मरम्मत के लिए आवश्यक है.