कोरोना के खौफ से सहमा राजस्थान: अब आयुर्वेद को अपना रहा है

-20 लाख नागरिकों को काढ़ा अश्वगंधा एवं गिलोय चूर्ण वितरित

नेशनल दुनिया, जयपुर। राजस्थान में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या और मरीजों पर एलोपैथिक दवा का असर नहीं होने के बाद आखिरकार राजस्थान सरकार ने आयुर्वेद को अपनाने का फैसला कर लिया है।
सरकार का कहना है कि प्रदेश में कोविड 19 के बचाव एवं उपचार हेतु आयुव्रेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि, प्रतिरक्षण एवं समान लक्षणों की चिकित्सा हेतु निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है।
चिकित्सा विभाग द्वारा अब तक लगभग 20 लाख नागरिकों को काढ़ा अश्वगंधा एवं गिलोय चूर्ण वितरित किया जा चुका है। इनमें 4 लाख कोरोनावायरस एवं उनके परिजन शामिल हैं।
आयुर्वेद मंत्री डॉ रघु शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा काढ़ा वितरण के साथ ही सरल घरेलू उपायों यथा- गर्म पानी का सेवन, नित्य योगाभ्यास, हल्दी एवं हल्दी युक्त दूध, जीरा, धनिया, तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, मुनक्का का सेवन, नासिका में सरसों/तिल/नारियल का तेल आदि के बारे में सलाह भी दी जा रही है।
डॉ रघु शर्मा ने बताया कि होम्योपैथी विभाग द्वारा औषधि आर्सेनिक एल्बम भी लगभग 3 लाख नागरिकों को वितरित की जा चुकी है।
उन्होंने बताया किकेंद्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से समस्त विभागीय चिकित्सकों एवं नर्स कम्पाउण्डर को कोविड 19 से सम्बन्धित प्रषिक्षण दिया गया है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में समस्त आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्साधिकारी एवं नर्स कम्पाउण्डर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर विभिन्न क्वारांराईन सेन्सर्ट, चैक पोस्ट, स्क्रीनिंग कार्य एवं चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
क्वारांटाईन सेन्टर्स पर रह रहे लगभग 8 हजार 200 नागरिकों को 5 दिवस तक आयुर्वेदीय काढ़ा व अष्वगंध व गिलोय चूर्ण दिया जा रहा है। अब तक प्राप्त परिणामों में उक्त नागरिकों में कोई भी नहीं आया है।
डॉ शर्मा ने बताया कि राजस्थान आयुर्वेद विष्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा 1500 व्यक्तियों पर तथा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर द्वारा 600 कोरोना वॉरियर्स एवं क्वारांटाईन व्यक्तियों पर आयुर्वेद औषधियों का परीक्षण किया जा रहा है।

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