नेशनल दुनिया, नई दिल्ली।
अगले हफ्ते होने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में भारत एग्जीक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन बन जाएगा। अभी बोर्ड का चेयरमैन का पद जापान के पास है।
एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन बनने के बाद भारत के द्वारा चीन के ऊपर कोरोना वायरस के संक्रमण फैलाने को लेकर शिकंजा कसे जाने की उम्मीद है।
भारत पहले से ही कह चुका है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के भीतर बड़े सुधार की जरूरत है। दूसरी तरफ अमेरिका ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन का पक्ष लिया है और चीन के गुनाह छिपाने में मदद की है।
अमेरिका के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी समेत कई देशों ने कोरोनावायरस की जांच की मांग की है। जिस तरह से डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉ टेडरोस एडहेनोम पर चीन की कारगुजारियों को छिपाने के आरोप लगे हैं, उसके बाद भारत का चेयरमैन बनना अहम है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी बॉडी में एग्जिट बोर्ड का चेयरमैन बनने के लिए साउथ ईस्ट एशिया की तरफ से भारत का नाम सुझाया गया था। अगले हफ्ते भारत इसके चेयरमैन का पद संभाल लेगा।
माना जा रहा है कि जिस तरह से कोरोनावायरस चीन के द्वारा बनाया गया जैविक हथियार बताया जा रहा है, उसके बाद भारत के चेयरमैन बनने से दुनिया के कई देश इसकी जांच की मांग को प्रमुखता से उठा सकेंगे।
पिछले दिनों भारत के सार्वजनिक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी स्पष्ट तौर पर कहा था की कोरोना वायरस प्राकृतिक वायरस नहीं है। ऐसा पहली बार है कि भारत के किसी संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति ने स्पष्ट तौर पर चीन पर आरोप लगाया है।
उसे पहले अमेरिका स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि कोरोनावायरस प्राकृतिक नहीं है और उसको चीन की सरकारी लैब में बनाया गया है। वुहान शहर से शुरू हुआ यह वायरस दुनिया के 194 देशों में फैल चुका है। आज की तारीख में 46 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में है और तीन लाख से ज्यादा की मौत हो चुकी है।
डब्ल्यूएचओ के एक्टिविटी बोर्ड के चेयरमैन बनने के बाद भारत की जहां पर जिम्मेदारी बढ़ेगी, तो वहीं अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस जैसे देशों के साथ होने के कारण कोरोनावायरस की जांच की जा सकती है और ऐसे में भारत के द्वारा चीन की गर्दन मरोड़ की जा सकती है।