प्रेग्नेंसी में Mood Swings के प्रभाव और इसे मैनेज करने के तरीकों के बारे में जानिए

आमतौर पर महिलाओं का मूड हमेशा बदलता रहता है। अगर आप गर्भवती हैं और आपका मूड बार-बार बदल रहा है तो आप परेशान ना हों, यह प्रेग्नेंसी के लक्षणों का ही हिस्सा है। लेकिन अगर मूड स्वींग्स बहुत ज्यादा हो रहा है तो यह बाईपोलर डिसऑर्डर की वजह से भी हो सकता है। इसके लक्षणों को पहचानें और इसका प्रभावी इलाज कराएं। इस बारे में हमने बात की Dr. Parul Tank (DPM, MD, DNBE MRCPsy-UK) से और उन्होंने हमें इस विषय में अहम जानकारियां दीं।

मूड स्वींग्स के लक्षण

मूड स्वींग्स के प्रभाव
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में कई भावनात्मक बदलाव भी आ सकते हैं। यह आमतौर पर शुरुआती और आखिरी स्टेज में दिखाई देते हैं। ऐसा हार्मोंन में होने वाले उतार-चढ़ाव और प्रोजेस्टेरॉन का स्तर बढ़ जाने की वजह से होता है।
डर: पहले ट्राईमेस्टर के दौरान मां को अपने बच्चे और उसकी सेहत के लिए डर लगता है। दूसरे ट्राईमेस्टर में मां इस सोच में पड़ जाती है कि वह अच्छी मां होगी या नहीं होगी। डिलीवरी सबसे मुश्किल दौर होता है, क्योंकि इस समय मां डिलीवरी सही तरीके से होने को लेकर चिंतित होती है और यही दुआ करती है कि डिलीवरी सामान्य हो।
चिंता: प्रेग्नेंसी में ज्यादातर समय में महिलाएं डरती हैं। ऐसा प्रेग्नेंसी को लेकर होने वाली अनिश्चितता की वजह से होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि महिलाएं अपने बच्चे को सुरक्षित रखना चाहती हैं। उन्हें यही लगता है कि बच्चे को गर्भ में ठीक से फीडिंग मिले और वह जन्म के बाद स्वस्थ रहे।
रोना: प्रेग्ननेंसी के शुरुआती चरणों के दौरान अक्सर मां किसी ना किसी बात पर रो देती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे इस दौरान कई तरह के इमोशनल और मेंटल बदलावों से गुजर रही होती हैं। मातृत्व से जुड़े नए अनुभवों के कारण भी गर्भवती महिलाएं परेशान हो जाती हैं।
बॉडी इमेज की प्रॉब्लम
जब महिलाएं अपने पेट के बदलावों को नोटिस करती हैं और दूसरे और तीसरे ट्राईमेस्टर में वजन बढ़ने का अनुभव महसूस करती हैं, तो उन्हें अपने अपीयरेंस को लेकर असंतुष्टि हो सकती है। इससे उनकी मेंटल स्टेट प्रभावित हो सकती है और इसका असर उनकी ओवरऑल हेल्थ पर भी हो सकता है।
मूड स्वींग्स इस तरह मैनेज करें
रिलैक्स रहें: प्रेग्नेंसी में मूड स्वींग्स होना बहुत सामान्य सी बात है। ऐसे में खुद को शांत रखने में ही समझदारी है। बेहतर होगा कि आप उन चीजों पर फोकस करें, जिनसे आपको आराम महसूस हो।
अपना खयाल रखें: इस अवस्था में थोड़ा डिप्रेशन स्वाभाविक है। इस समय में थोड़ी ज्यादा नींद लें। रिलैक्स करें, इससे आपको पॉजिटिव रहने में मदद मिलेगी।
अपने इमोशन्स एक्सप्रेस करें
अगर आपने मन में बुरे खयाल आ रहे है और आप अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं कर रहीं तो इससे आपकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है। अपने प्रियजनों से अपने एक्सपीरियंस शेयर करें। खासतौर पर जिन चीजों को लेकर आप चिंतित हैं, उन पर अपने करीबी लोगों से चर्चा जरूर करें। इससे आपकी मूड स्वींग की समस्या बहुत हद तक सॉल्व हो जाएगी।
योग से मिलेगी मदद
मेडिटेशन करने से स्ट्रेस कम करने, चिंता घटाने और अच्छी सोच विकसित करने में मदद मिलती है।
एक्सपर्ट से लें सलाह
मूड स्वींग्स प्रेग्नेंसी का एक हिस्सा हैं। कोशिश करें कि खुश रहें और हेल्दी डाइट फॉलो करें। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर आप हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें तो इससे आपकी प्रेग्नेंसी स्मूद होगी। अगर आपको इन तरीकों से मदद नहीं मिल पाए तो साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट की मदद लेने से पीछे ना हटें। बेहतर होगा कि आप डिप्रेशन से जूझने के बजाय जल्द से जल्द मदद लें, क्योंकि इससे महिलाएं और उनकी होने वाली संतान, दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

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