नई दिल्ली । कोविड-19 के संकट से जूझ रही दुनिया में इसको फैलाने में चीन के वुहान शहर का योगदान है। पर एक सवाल सभी के दिमाग में जरूर उठता होगा कि आखिर इस महामारी का अंत कैसे और कब होगा। इस बात का उत्तर अभी विशेषज्ञों के पास नहीं है। दो तरह के जवाब इस सवाल के हो सकते हैं। पहला, मेडिकल टर्म में बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसकी घोषणा करेगा कि कोरोना का संक्रमण अब महामारी नहीं रहा। हालांकि इसके मानक तो अब तक डब्ल्यूएचओ ने भी तय नहीं किए। दूसरा, लोग खुद कोरोना वायरस से ऊब जाएंगे और जीवन को भले ही खतरे में डालना पड़े, उन्हें सामान्य जनजीवन में लौटना पड़ेगा। खबरों के अनुसार तमाम विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारी के अंत की अनौपचारिक घोषणा आम लोग ही करेंगे। हालांकि अब तक देखा गया है कि किसी महामारी के अंत की आधिकारिक घोषणा के बाद भी लोगों में बीमारी का खौफ रहता है।
कहा जाता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कोरोना के खिलाफ भी ऐसा ही है। दुनियाभर के विशेषज्ञ मानते हैं कि कोई भी बीमारी तब तक हावी रहती है जब तक उसका खौफ रहता है। खबरों के अनुसार रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जंस, डबलिन की डॉ. सुसेन मुरे बताती हैं कि बिना किसी महामारी के भी उस बीमारी का खौफ पैदा हो जाता है। जैसा इबोला को लेकर इंग्लैंड में पैदा हो गया था। ऐसे ही, इसका उल्टा भी हो सकता है। हमें कुछ इंतजार करना होगा। खौफ खत्म होने तक ही कोई बीमारी महामारी होती है।
जॉन हॉपकिंस इंस्टीट्यूट के चिकित्सा विभाग के इतिहासकार डॉ. जेर्मी ग्रीन कहते हैं कि जब लोग पूछते हैं कि महामारी का अंत कब होगा। दरअसल, वह पूछते हैं कि शारीरिक दूरी का अंत कब होगा। दूसरे शब्दों में कहूं तो महामारी का अंत नहीं होगा, बल्कि लोग डर के माहौल से खुद ही बाहर निकलने को तैयार हो जाएंगे। वह कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ रहने के लिए तैयार हो जाएंगे। यह कुछ हद तक होने लगा है। डॉ. नाओमी रोजर्स बताती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं के विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद अमेरिका के कई राज्यों में गवर्नर शारीरिक दूरी के नियम में ढील दे रहे हैं। हेयर सैलून से लेकर जिम तक को खोलने की इजाजत दी जा रही है।