जबसे लॉकडाउन हुआ है तबसे सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ रहा है। हालाकि अब तो उन्हें ज्यादा दिक्कतें आ रही है। घर जाने के लिए उन्हें कोई यातायात का साधन नही मिल रहा है। इसी बीच सोशल मीडिया पर आए दिन हम ऐसी ही लाचारी भरी तस्वीरें देखती है जिसमें मजदूरों का असल संघर्ष दिखता है। कभी सड़क पर ही मजदूर मां बच्चे को जन्म देती है तो वहीं अब एक और तस्वीर सामने आई है।
ये तस्वीर मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की है। जिसे देख कर तो हर किसी के आंखें भर आए। तस्वीर में हम देख रहे है कि कैसे एक मजदूर पिता 800 कि. मी दूर से अपनी बेटी को हाथ से बनी गाड़ी पर खींचकर लाता है तो वहीं उसी गाड़ी में उसकी गर्भवती पत्नी भी बैठी होती है।
इस शख्स का नाम रामू है जो कि हैदराबाद में नौकरी करता है और कुंडेमोहगांव का निवासी है। हैदराबाद से 800 किलोमीटर का सफर अपनी गर्भवती पत्नी और दो साल की बेटी के साथ पूरा कर बालाघाट आया। वापसी के लिए उसने कई लोगों से मिन्नतें कीं। लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
वापसी के वक्त मजदूर रामू कुछ दूर तो अपनी दो साल की बेटी को गोद में उठाकर चलता रहा वहीं उसकी गर्भवती पत्नी हाथ में सामान उठाकर चलती रही लेकिन ये सफर कोई छोटा नही था आखिर इन तीनों को 800 किलोमीटर का रास्ता तय करना था। बेटी के पैरों में चप्पल भी नहीं थी और फिर पिता ने हाथ से गाड़ी पर बेटी को बिठाया और गाड़ी को रस्सी से बांध कर खींचते हुए 800 किलोमीटर का सफर 17 दिन में पैदल तय किया। मजदूर जब बालाघाट की रजेगांव सीमा पर पहुंचा तो वहां मौजूद पुलिसवालों के कलेजे भी हिल गए। उन्होंने बच्ची को बिस्किट और चप्पल लाकर दी ,मजदूरों की ये मेहनत और ये संघर्ष इस समय में सबसे कठिन है।