नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना ने हड़कंप मचा दिया है. भारत में भी इसका संक्रमण बढ़ रहा है. देश में इस महामारी की चपेट में अब तक करीब 4000 से ज्यादा लोग आ चुके हैं, जबकि भारत में अब तक 109 लोग कोरोना की वजह से मर चुके हैं. वहीं, दुनिया में इसके चलते 69,660 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में काफी घबराहट है. खांसी और बुखार आते ही लोग दहशत में आ जाते हैं. इसकी वजह कोरेाना और फ्लू के लक्षणों का आपस में मिलना है. देश में यह फ्लू का मौसम है. इसमें खांसी-बुखार होना सामान्य बात है.
सवाल यह है कि दोनों में फर्क कैसे किया जाए. क्या खांसी और बुखार आते ही आपको कोरोना की जांच करानी चाहिए? आइए जानते हैं इस बारे में क्या है डॉक्टर की राय. लखनऊ स्थित हिंद मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विभाग में प्रोफेसर डॉ. उत्कर्ष बंसल ने कहा कि दोनों में काफी बारीक फर्क है. शुरुआती लक्षण काफी-कुछ मिलते-जुलते हैं. लेकिन, पहचान करना संभव है.
डॉ. उत्कर्ष ने बताया कि फ्लू में जुकाम (नाक बहना), खांसी, सिरदर्द, आंखों का लाल होना और आंखों से पानी आना मुख्य लक्षण हैं. वहीं, कोविड-19 में सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बुखार प्रमुख लक्षण हैं. उनका कहना है कि बुखार के साथ अगर सांस लेने में तकलीफ और सूखी खांसी है तो सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह फ्लू से अलग लक्षण हैं. कोरोना के कुछ और भी लक्षण हैं जो फ्लू से बिल्कुल अलग हैं.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी (डॉक्टर) ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को पांच से सात दिनों में अमूमन निमोनिया हो जाता है. रेस्पिरेटरी फेलियर (दम घुटना) और सेप्टिक शॉक (शरीर में जहर फैलना) इसकी ऊपर की स्टेज हैं. यानी संक्रमित व्यक्ति की अमूमन दम घुटने या सेप्टिक शॉक से मौत हो जाती है. उन्होंने बताया कि फ्लू में माइल्ड इनफेक्शन रोकथाम के उपायों जैसे गरम पानी पीने आदि से ठीक हो जाता है. लेकिन, कोविड-19 के साथ ऐसा नहीं है. यह अगर बढ़ जाता है तो इसे काबू में कर पाना कठिन होता है.
डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी को केवल गले में खराश वगैरह है, तो यह कोरोना वायरस का लक्षण नहीं हो सकता है. दूषित पानी पीने से किसी के गले में खराश हो सकती है. ऐसे लक्षण दिखने पर आपको परेशान नहीं होना चाहिए. न ही गले में खराश होने से आपको चिंता करनी चाहिए. हां, समस्या बढ़ने पर आपको अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लेनी चाहिए.