नेशनल दुनिया, लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में सभी श्रमिक कानूनों को रद्द कर दिया है। इसको लेकर भले ही विपक्ष सरकार पर निशाना साधा हो।
हकीकत यह है कि इन कानूनों को रद्द करके योगी आदित्यनाथ प्रदेश के सभी 15 लाख से ज्यादा श्रमिकों को अपने ही राज्य में रोजगार मुहैया करवाने के लिए काम कर रहे हैं।
15 लाख के लिए रोजगार यूपी में
योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश से अब तक करीब 15 लाख श्रमिक ऐसे हैं जो विभिन्न राज्यों में रोजगार के लिए जाते हैं। इन सभी श्रमिकों को अब उत्तर प्रदेश में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा।
न्यूनतम वेतन होगा 15000
प्रदेश की श्रमिकों को आजीविका में कोई दिक्कत नहीं हो इसके साथ ही प्रत्येक श्रमिक के लिए कम से कम ₹15000 मासिक वेतन की व्यवस्था पर भी काम किया जा रहा है।
15 में से 12 लाख बुलाये
उत्तर प्रदेश की सरकार ने अब तक 12 लाख प्रवासी श्रमिकों में से 8 लाख को उन्होंने बसों और ट्रेनों से अपने प्रदेश में बुला लिया है। साथ 50 हजार छात्रों को भी उनके घर पहुंचा दिया है। 35 स्पेशल ट्रेनें आज अन्य श्रमिकों को लेकर पहुंच रही हैं।
12 लाख के लिए आइसोलेशन वार्ड बने
सरकार का दावा है कि 12 लाख लोगों के लिये आइसोलेशन वार्ड बनाना उनको रखना, उन्हें भोजन देना उनका स्वास्थ्य चेक करना, यह सब असंभव है, लेकिन हमने ये सब कर दिखाया है।
योगी सरकार का कहना है कि देश में बहुत जगह उपद्रव, भुखमरी कि खबरें होंगी, लेकिन उत्तरप्रदेश से ऐसी कोई खबर आपको देखने या सुनने को नहीं मिलेगी।
10 राज्यों के बराबर है उत्तर प्रदेश
देश के करीब 10 बड़े राज्यों को मिला दें तो उतनी जनसंख्या अकेले उत्तर प्रदेश मि है। बावजूद इतनी सुव्यवस्था कहीं नहीं दिखी। कोटा से छात्रों को सबसे पहले योगी आदित्यनाथ सरकार ले गई थी।
सबसे कम मरीज, तेजी से हो रहे हैं ठीक
जितने प्रवासी श्रमिक, छात्र उत्तरप्रदेश में आये हैं, यह बहुत बड़ा जोखिम भरा काम था। जिनको वापस लाया गया था, सभी संक्रमण वाले राज्यों और क्षेत्र से आये हैं।कोरोना के 3200 केस के साथ अनुपात में उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक मरीज ठीक हुये हैं, जबकि सक्रिय केस मात्र 1500 हैं।
योगी आदित्यनाथ सरकार अब श्रमिकों को रोजगार पर प्रतिबद्ध है। मजदूरों को न्यूनतम 15000 रुपये प्रतिमाह की योजना पर काम कर रहे है। योगी आदित्यनाथयूपी को गारमेंट और गौ उत्पाद का हब बनाना चाहते है।
योगी आदित्यनाथ स्प्ष्ट कहते हैं, अब हम अपने श्रमिकों को दूसरे राज्यों में जाने नहीं देंगें। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक दिन पहले ही उन्होंने सभी श्रम कानून समाप्त कर दिए हैं।