हिंदू धर्म में व्रत और उपवास के दौरान कुछ चीजों के सेवन की सख्त मनाही होती है। आपने में अपने घर में अक्सर मम्मी और दादी से सुना होगा कि व्रत कर रहे हो तो ये सब चीजें मत खाना। ये अपवित्र मानी जाती हैं। या इन चीजों को खाने से व्रत खंडित हो जाता है। ऐसा क्यों कहते हैं, आइए यहां जानते हैं...
तामसिक भोजन है
तामसिक भोजन का अर्थ होता है, खाने की ऐसी चीजें जो हमारे शरीर में तमोगुण की वृद्धि करते हैं। साधारण शब्दों में आप इन्हें राक्षसी प्रवृति बढ़ाने वाले भोजन से भी समझ सकते हैं। इस तरह के भोजन के सेवन से हमारे शरीर में जिन द्रव्यों की मात्रा बढ़ती है,वे एकाग्रता भंग करनेवाले माने जाते हैं। इसलिए व्रत में लहसुन और प्याज से बनी चीजें खाने की मनाही होती है।
फलियां और मसूर
व्रत में बीन्स, मसूर, राजमा, उड़द या छोले जैसे अनाज खाने की भी मनाही होती है। इसका कारण होता है कि इनके उपवास के बाद इनका सेवन करने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है। इस कारण आपका ध्यान पूजा पाठ में नहीं लग पाएगा।
अन्न की मनाही
व्रत में गेहूं का आटा, चावल, दालें, सूजी से बनी चीजें खाने की भी मनाही होती है। इसका कारण यह होता है कि भोज्य पदार्थ हमारे शरीर को गर्माहट प्रदान करते हैं, भूख में वृद्धि करते हैं और कई बार सुस्ती का कारण बनते हैं। इस कारण शरीर में आलस आता है और पूजा-अनुष्ठान में ध्यान नहीं लग पाता है।
इन मसालों की मनाही
व्रत में हल्दी, सरसों, मेथीदाना, गरम मसाला, हींग खाने की मनाही होती है। इसका कारण होता है कि पूरा दिन उपवास करने के बाद इन मसालों के सेवन से पेट में एसिडिटी की समस्या हो सकती है। क्योंकि ये सभी मसाले अपने मूल गुण में गर्म तासीर के होते हैं।
फलियों के अलावा भी
हिंदू धर्म में कभी भी मदिरा और मांसाहार को धार्मिक दृष्टि से स्वीकार नहीं किया गया है। ये दोनों ही चीजें असुरों का भोजन मानी गई हैं। इसलिए इन्हें व्रत या उपवास के दौरान लेना वर्जित माना जाता है।यहां तक कि इनके बारे में विचार करना या इन्हें देखकर लालायित होना भी विचारों की अशुद्धि का कारण माना जाता है।
हम सबके रिवाज
भारत विविधताओं वाला देश है। यहां एक ही त्योहार अलग-अलग राज्यों और शहरों में कुछ अलग तरही की रस्मों के साथ मनाया जाता है। किसी के यहां सरसों तेल व्रत में नहीं खाते तो किसी के यहां व्रत का पूरा खाना ही सरसों तेल में बनता है। इसलिए अपने घर के रिवाज और परंपराएं घर के बड़ों से जरूर सीखें।