गुड क्वालिटी प्रोटीन मिलता है विभिन्न फसलों के बीजों से, फलों से और मांसाहार से। पुअर क्वालिटी प्रोटीन होता है फसलों के पौधों की पत्तियों में और पेड़ों की पत्तियों में और फसल अवशेषों में।
पुअर क्वालिटी प्रोटीन के प्राथमिक कंज्यूमर हैं पशु जो पुअर क्वालिटी प्रोटीन खाकर उसे गुड क्वालिटी प्रोटीन में बदल देते हैं।
इस तरह पृथ्वी पर जो भी प्रोटीन पैदा हुआ, वह शत प्रतिशत उपभोग कर लिया गया, कुछ मनुष्यों द्वारा और बाकी पशुओं द्वारा।
अब कल्पना कीजिये कि पृथ्वी के सभी लोग शाकाहारी हो जाते हैं तो क्या होगा?
गुड क्वालिटी प्रोटीन की आवश्यकता ज्यादा होगी तो इतनी भारी मात्र में गुड क्वालिटी प्रोटीन कहाँ से आएगा?
पशु उत्पादों से आ सकता था मगर अब तो सभी लोग शाकाहारी हो चुके हैं।
अब प्रश्न आता है पुअर क्वालिटी प्रोटीन का... तो उस पुअर क्वालिटी प्रोटीन का ग्राहक कौन होगा?
निश्चित रूप से पशु ही होंगे मगर पशुओं को तो अब कोई खाता नहीं तो।
तो कुछ नहीं... यह प्रकृति का चक्र है। शाकाहार और मांसाहार की दुहाई देना बेकार की बात है। इस पृथ्वी पर एक जीव दूसरे जीव का पेट भर रहा है और इसे ऐसे ही चलते रहने दीजिए। जिसका मन मांसाहार की गवाही दे उसे मांसाहार जरूर करने दो और जिसका मन मांसाहार का न हो उसके लिए प्रचुर मात्रा में शाकाहार तभी बचेगा जब कुछ लोग मांसाहारी होंगे।
इसे समझने के लिए शादी की दावत का ध्यान करिए...
सब लोग मुर्ग मुसल्लम खाने लगें तो शाही पनीर कौन खायेगा और अगर सभी शाही पनीर खाएंगे तो कम नहीं पड़ जायेगा क्या?
इस संसार में सब शादी की दावत खाने ही तो आये हैं। कोई जल्दी फिनिश करके निकल लेता है, कोई देर तक जीमता है।
- डा. संजीव कुमार वर्मा