हिंदुस्तान शहरी क्षेत्रों में उच्च प्रसार के साथ, मधुमेह की महामारी का सामना कर रहा है. पिछले 30 वर्षों में शहरी क्षेत्रों में डायबीटिज के मामलों में 12-18% व गा्रमीण क्षेत्रों में 3-6% की बढ़ोत्तरी देखी गई है.
सबसे चौकाने वाली बात ये हैं कि यहां 45 वर्ष से कम आयु के 36 प्रतशित युवा मधुमेह का शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज शरीर की वह स्थिति है जब खून में शुगर की मात्रा का नियंत्रित करने वाला इंसुलिन हार्मोन कम बनता है या अच्छा से कार्य नहीं कर पाता जिसकी वजह से खून में शुगर की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है. मधुमेह रोगी को अपने नियमित तौर पर अपने शुगर लेवल की जाँच करना महत्वपूर्ण होता है. इसकी अनदेखी करना लिवर की समस्या, दिल का दौरा और किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ा सकती है. इसलिए ठीक समय पर डायबिटीज व उसके स्क्रीनिंग टेस्ट कराने चाहिए. आइए जानते हैं डायबिटीज के कितने प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं:-
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट ( Fasting Plasma Glucose Test (FPG) ) ये जाँच भूखे पेट की जाती है, यानी कम से कम 8 घंटों तक आपने कुछ भी न खाया हो. लिहाजा फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस् (एफपीजी) टेस्ट प्रातः काल के नाश्ते से पहले किया जाता है.
पोस्टप्रेंडियल ब्लड शुगर टेस्ट (खाने के बाद) ( Postprandial Blood Sugar Test ) पोस्टप्रेंडियल ब्लड शुगर टेस्ट (पीपीबीएस) एफपीजी टेस्ट करने व नाश्ता खाने के बाद किया जाता है. अमूमन ये टेस्ट प्रातः काल नाश्ता करने के दो घंटे बाद किया जाता है.
अगर आपको पहले से कोई बीमारी हो, या आपने पीपीबीएस टेस्ट से पहले कोई दवा खाई हो, तो इसकी जानकारी चिकित्सक को जरूर दें, क्योंकि इससे आपकी जाँच के नतीजों पर प्रभाव पड़ सकता है.
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) ( Oral Glucose-Tolerance Test ) ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT) के जरिए ये पता चलता है कि फास्टिंग के बाद किसी आदमी को ग्लोकोज दिया जाए तो उसका शरीर इसपर किस तरह की रिएक्शन देता है, क्या उसका शरीर ग्लूकोज को पूरी तरह अवशोषित कर पाता है या नहीं. दूसरे शब्दों में बोला जाए, तो ये आपके शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध की जाँच करता है. टाइप2 डायबिटीज की जानकारी के लिए ये एक मानक टेस्ट है. इसके लिए तकनीशियन आपके बांह की नस से दो बार खून निकालता है. पहली बार उस वक्त, जब आपने रातभर कुछ नहीं खाया हो व दूसरी बार कोई मीठी वस्तु पीने के बाद, जो टेस्ट के दौरान आपको दिया जाता है. इस तरह इस जाँच के दो स्टेप होते हैं.
रैन्डम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट ( Random Blood Sugar ) रैन्डम प्लाज्मा ग्लूकोज (आरपीजी) टेस्ट भी आपके ख़ून में शुगर का स्तर मापता है, लेकिन इस जाँच के लिए कोई खास समय या खाने से जुड़ी पाबंदी शामिल नहीं होती. इसे रैन्डम जाँच कहते हैं, क्योंकि इसे दिन में किसी भी समय किया जा सकता है व इस बात की भी चिन्ता नहीं होती, कि आपने कब व क्या खाया था. गर्भावस्था की आरंभ में डायबिटीज के ख़तरे की जाँच के लिए भी आरपीजी लाभकारी है. गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने में किया गया आरपीजी टेस्ट बता सकता है कि बाद में गर्भवती स्त्रियों में डायबिटीज होगा या नहीं.
एचबीए1सी टेस्ट ( Hemoglobin A1C test ) एचबीए1सी को ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या सिर्फ ए1सी भी बोला जाता है. अब तक डायबिटीज़ का पता लगाने के लिए एचबीए1सी सबसे सटीक टेस्ट है. इस जाँच से पिछले 2-3 महीने में आपके ख़ून में शुगर का स्तर पता चल जाता है.
फ्रुक्टोजामाइन टेस्ट (ग्लाइकेटेड सीरम प्रोटीन या ग्लाइकेटेड एल्ब्यूमिन टेस्ट) ( Fructosamine Test ) फ्रुक्टोजामाइन (एफए) टेस्ट पिछले 2-3 हफ्ते में ख़ून में शुगर का स्तर जांचता है. खून में उपस्थित प्रोटीन के साथ शुगर के मिलने से एफए बनता है. एफए का स्तर बढ़ने पर ख़ून में शुगर का स्तर भी ज़्यादा होगा. क्योंकि फ्रुक्टोज़ामाइन का 80% भाग एल्ब्यूमिन नाम का प्रोटीन होता है, इसलिए ग्लाइकेटेड एल्ब्यूमिन टेस्ट भी इसके तहत आता है. एचबीए1सी की तुलना में इस जाँच का एक लाभ ये है कि इसमें खून में शुगर के स्तर में आए परिवर्तन की पहचान जल्द हो जाती है, जिससे उपचार जल्द शुरु होने कि सम्भावना है.