ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल में रखेंगे ये 3 योगासन, नियमित अभ्यास से नहीं होगी डायबिटीज की बीमारी

स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से आजकल सभी लोग परेशान हैं। इन समस्याओं का सबसे आसान हल योग है। योग न सिर्फ शरीर को तरोताजा करता है बल्कि कई बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान कराता है। योग के माध्यम से आप अपने ब्लड शुगर के लेवल को भी नियंत्रित कर सकते हैं। योग के द्वारा मधुमेह का प्राकृतिक रूप से इलाज होता है। योग के नियमित अभ्यास से मधुमेह की अन्य जटिलताओं के जोखिम भी कम हो जाता है। आज हम आपको कुछ योगासन बता रहे हैं जिनके अभ्यास से आप अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं...

शवासन मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए शव की स्थिति सबसे आसान आसन है। शवासन करने के लिए जमीन पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को फैलाते हुए पैरों के बीच अंतर लाएं। इस दौरान आपके पैरों के पंजे बाहर की तरफ और एड़ियां अंदर की तरफ होनी चाहिए। अब आप दोनों हाथों को भी शरीर से लगभग एक फिट की दूरी पर रखें। अपनी हाथों की अंगुलियां आकाश की तरफ रखें और गर्दन को सीधा रखें। अब अपनी आंखों को बंद कर लें और धीरे-धीरे सांस खींचें और छोड़ें। अपनी आंखों को बंद कर सांसों पर ध्यान दें और मन में गिनती करते जाएं। एक सांस में एक गिनती करें और ऐसा करते हुए 100 तक गिनती करें और फिर उठ जाएं।
धनुरासन धनुरासन का अभ्यास मधुमेह पीड़ितों के लिए अत्यधिक फायदेमंद है। इस आसन को करने के लिए आप अपने पेट के बल सीधे फर्श पर लेट जाएं। अब अपने ऊपरी शरीर के साथ-साथ अपने पैरों को भी ऊपर उठाएं। पैरों को ऊपर उठाएं हुए अपने घुटनों को मोड़ें और अपने हाथों को भी पीछे की ओर उठाएं। अब अपने दोनों हाथों से अपनी एड़ियों को पकड़ें। अपने पैरों और हाथों को जितना संभव हो ऊपर की ओर खींचें। अब आप धनुरासन की पूर्ण स्थिति में आ गए हैं। आप इस स्थिति में कम से कम 15 से 20 सेकंड तक रहें। धनुरासन आपको शरीर के दर्द से लड़ने में भी मदद करेगा।
पश्चिमोत्तानासन डायबिटीज के मरीजों को पश्चिमोत्तानासन बहुत मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप अपने पैरों को बाहर की ओर फैलाकर किसी समतल जगह पर सीधे बैठें। अब अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और गहराई से सांस लें। अब आगे की ओर झुकें और सांस को छोड़ें। अपने हाथों से अपने पैर की उंगलियों को छूने की कोशिश करें और अपने सिर को अपने घुटनों से लगाकर रखें।मधुमेह रोगियों को बेहतर परिणाम के लिए रोजाना इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

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